ह्यूस्टन : भारतीय बच्ची शिरीन मैथ्यूज उर्फ सरस्वती की मौत के मामले में भारतीय मूल के भारतीय-अमेरिकी दत्तक पिता वेस्ले मैथ्यूज को उम्रकैद की सजा मिलने के बाद गुरुवार को उनकी सजा शुरू हो गयी.
अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान अपनी ओर खींचनेवाले मामले में तीन वर्षी बच्ची साल 2017 में एक पुलिया के पास मृत पायी गयी थी. उसे गोद लेनेवाले पिता वेस्ले मैथ्यूज (39) ने 24 जून को शेरीन को चोट पहुंचाने का दोष स्वीकार कर लिया था. डलास काउंटी शेरिफ के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि मैथ्यूज को सुबह करीब 12 बजकर 58 मिनट पर डलास काउंटी जेल से दूसरे जेल में ले जाया गया.
मालूम हो कि 39 वर्षीय वेस्ले मैथ्यूज को 26 जून को शेरीन की मौत के मामले में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी. शिरीन की मौत के मामले में के आरोप का गुनाह कबूला था. अमेरिकी राज्य टेक्सास के अधिकारियों ने पहले उस पर हत्या का आरोप लगाया था. अमेरिकी मीडिया की खबरों के अनुसार इस मामले में 12 सदस्यों वाली ज्यूरी ने करीब तीन घंटे विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से वेस्ले मैथ्यूज को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. वह 30 साल की कैद के बाद पैरोल के लिए अनुरोध कर सकता है.
अभियोजकों ने दलील थी कि केरल के रहनेवाले मैथ्यूज ने अक्टूबर 2017 में शिरीन की हत्या की. शिरीन को मैथ्यूज और उसकी पत्नी सिनी मैथ्यूज ने 2016 में बिहार के एक अनाथालय से गोद लिया था. वहीं, मैथ्यूज की दलील थी कि शिरीन की मौत दूध नहीं पीने से हुई है. शिरीन सात अक्टूबर 2017 को अपने घर से लापता हो गयी थी. 15 दिन बाद उसका शव उसके घर के निकट एक पुलिया पर मिला था.शिरीन का शव मिलने के बाद सिनी और वेस्ले मैथ्यूज दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था.
नालंदा के मदर टेरेसा अनाथाश्रम से गोद ली गयी थी बच्ची
केरल निवासी भारतीय-अमेरिकी वेस्ले मैथ्यूज और उनकी पत्नी मिनी सिमी ने बिहार के नालंदा स्थित मदर टेरेसा अनाथ आश्रम से बच्ची गोद ली थी. शेरीन सात अक्तूबर, 2017 की रात उस वक्त लापता हो गयी थी, जब उसके पिता वेस्ले मैथ्यूज ने दूध पूरा नहीं पीने पर उसे सजा के तौर पर देर रात घर से निकाल दिया था. मैथ्यूज ने उस समय कबूल किया था कि उसने शेरीन को रात करीब तीन बजे घर से बाहर निकाल दिया था और उसे एक बड़े पेड़ के पास खड़े होने को कहा था. 15 मिनट बाद वह शेरीन को देखने गया, तो वह वहां नहीं मिली.
गया में सड़क के किनारे से मिली थी सरस्वती
नालंदा मदर टेरेसा अनाथ अश्राम की संचालिका बबीता कुमारी के मुताबिक, डेढ़ वर्ष की उम्र में गया से सरस्वती यहां लायी गयी थी. गया में सड़क के किनारे से वह छह माह की उम्र में मिली थी. गया अनाथालय से उसे यहां शिफ्ट किया गया था. सरस्वती काफी हंसमुख मिजाज की थी और अनाथालय में आनेवाले लोगों को अंकल कह कर संबोधित करती थी. गोद लेनेवाले अमेरिकी दंपति वेस्ले मैथ्यूज को पूर्व से भी एक बच्ची थी, जिसके कारण उन्हें सरस्वती को गोद देने के मूड में नहीं थी. ऑथोराइज्ड फॉरनर एडॉप्शन एजेंसी के आग्रह के बाद सरस्वती को वेस्ले मैथ्यूज को गोद दिया गया था.