पटना : मधेपुरा मेडिकल कॉलेज को नहीं मिली मान्यता

सहरसा और मधुबनी निजी मेडिकल कॉलेजों को मिलीं एमबीबीएस की 250 सीटें पटना : सभी सरकारी कोशिशों के बाद भी मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज को 2019 सत्र के लिए एमसीआइ की मान्यता नहीं मिल पायी. एक साथ स्थापित होने वाले तीन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज छह वर्ष पीछे छूट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2019 9:29 AM
सहरसा और मधुबनी निजी मेडिकल कॉलेजों को मिलीं एमबीबीएस की 250 सीटें
पटना : सभी सरकारी कोशिशों के बाद भी मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज को 2019 सत्र के लिए एमसीआइ की मान्यता नहीं मिल पायी. एक साथ स्थापित होने वाले तीन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज छह वर्ष पीछे छूट गया है. जबकि, इसके साथ ही स्थापित होने वाले राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल बेतिया और पावापुरी के वर्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान को एमसीआइ ने मानकों पर सही पाते हुए वर्ष 2013 में ही मान्यता दे दी थी.
दोनों मेडिकल कॉलेजों में 2013 सत्र से ही एमबीबीएस कोर्स में 100-100 विद्यार्थियों के नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है. अब वहां से कोर्स पूरा कर विद्यार्थी पास आउट भी होने लगे हैं. खास यह कि निजी क्षेत्र के मधुबनी मेडिकल काॅलेज को एमबीबीएस की डेढ़ सौ सीटों के लिए और सहरसा के लार्ड बुद्धा मेडिकल काॅलेज को सौ सीटों पर एमसीआइ ने नामांकन की मान्यता दी है. इससे राज्य में एमबीबीएस में ढाई सौ सीटों का इजाफा हुआ है.
राज्य में वर्ष 2007-08 में तीन नये मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की स्थापना की घोषणा की गयी थी. इनमें बेतिया, पावापुरी और मधेपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल शामिल हैं. कॉलेज के प्राचार्य डाॅ अशोक कुमार यादव ने माना कि जून 2019 में इस कॉलेज का निरीक्षण किया गया.
एमसीआइ की टीम ने जांच में पायी गयी कमियों को पूरा करने के लिए समय भी निर्धारित किया था. एमसीआइ ने पाया कि कॉलेज के शैक्षणिक कार्य के लिए अस्पताल ही चालू हालात में नहीं है. अस्पताल के भवन का निर्माण तो हो चुका है, पर अब तक अप्रोच रोड और उपकरणों की कमी है. कॉलेज को 115 फैकल्टी के साथ पारामेडिकल और अन्य कर्मियों की आवश्यकता है. इधर, स्वास्थ्य विभाग द्वारा कॉलेज की मान्यता के लिए 65 चिकित्सकों की नियुक्ति भी कर दी गयी थी.

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