पटना : बिहार के विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद और हम सेक्युलर ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के फैसले को जहां ‘काला दिवस’ बताया है, वहीं जदयू नेता अजय आलोक ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से जम्मू-कश्मीर से संबंधित इस विधेयक पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने अनुच्छेद 370 को हटाने के मोदी सरकार के फैसले पर कहा, ‘‘आज के दिन को वह लोकतंत्र एवं संविधान के लिए ‘काला दिन’ मानते हैं. हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद जी ने कहा था कि भाजपा देश में मजबूत हुई तो ‘संविधान एवं लोकतंत्र’ दोनों खतरे में पड़ेंगे.’
राजद प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा को प्रचंड बहुमत देश के संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटने के लिए नहीं मिला था. शक्ति सिंह यादव ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि कश्मीर को बांटने के बजाए कश्मीरियों को गले लगाते तो लोकतंत्र मजबूत होता, पर भाजपा ने वोट के उद्देश्य से कश्मीर के टुकड़े-टुकड़े करने का काम किया है जो आने वाले कल के लिए शुभ संकेत नहीं है.’
वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने अनुच्छेद 370 को हटाने के मोदी सरकार के फैसले पर कहा, ‘‘आजाद भारत के लिए आज का दिन ‘काला दिन’ माना जायेगा.’ उन्होंने मोदी सरकार पर देश की एकता और अखंडता से खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक पर पुनर्विचार करे. मांझी ने राजग में शामिल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से कहा कि वह इस मामले पर अपना रुख साफ करें और विपक्ष की मदद करें. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी मिलकर इस तुगलकी फ़ैसले का विरोध करेंगे.’
उधर, भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के आदेश द्वारा धारा 370 को रद्द करना और जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित करना भारतीय संविधान के विरुद्ध तख्तापलट जैसी कार्रवाई से कम नहीं है.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार अपने लुके-छिपे, साजिशाना और गैर-कानूनी तौर तरीकों से संविधान को और कश्मीर को बाकी भारत से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण इस ऐतिहासिक सेतु को जलाने का काम कर रही है.’
भट्टाचार्य ने कहा कि भाकपा (माले) संकट के इस समय में जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ खड़ी है और यह आह्वान करती है कि संविधान पर हुए इस हमले और तख्तापलट के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जाएं. उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि कश्मीर घाटी से सैन्य बल तुरंत हटाया जाये, धारा 370 और धारा 35ए को तुरंत बहाल किया जाये और सभी विपक्षी नेताओं को नजरबन्दी से तत्काल रिहा किया जाये.’
वहीं जदयू ने सोमवार को इस विधेयक का राज्यसभा में विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया. पार्टी के नेता अजय आलोक ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से देशहित में अपील की है कि धारा 370 के संबंध में जो विधेयक आया है, उस पर पार्टी के पहले के रूख पर पुनःविचार होना चाहिए. आलोक ने ट्वीट कर कहा, ‘‘देश और बिहार की जनता और जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख की जनता की भावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है. उसको ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए.’ आलोक को पड़ोसी पश्चिम बंगाल में अवैध प्रवासियों को लेकर दिए गए बयान के कारण जदयू के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
उधर, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने नयी दिल्ली में कहा, ‘‘हमारी पार्टी समाजवादी आंदोलन का प्रतिफल है. इसके नेता लोहिया जी शेख अब्दुल्ला के साथ थे और अनुच्छेद 370 को बनाये रखने के पक्षधर थे और उसके बाद जयप्रकाश नारायण जी और जॉर्ज फर्नांडीस जी, सभी बिना किसी छेड़छाड़ के अनुच्छेद 370 के पक्ष में थे. इसका निरस्तीकरण भाजपा का एजेंडा रहा है, लेकिन राजग का कभी नहीं रहा है. इसलिए हमने इसका विरोध किया है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी संसद में विधेयक के खिलाफ मतदान करेगी या वाकआउट करेगी जैसा कि तीन तलाक विधेयक के मामले में किया गया था, इस पर त्यागी ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष उस पर निर्णय लेंगे और दोनों सदनों के सदस्यों को उचित निर्देश जारी किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इतना बड़ा फैसला लेने से पहले सभी पक्षों को विश्वास में लेना चाहिए था. भाजपा के साथ जदयू के गठजोड़ पर किसी प्रकार का असर पड़ने के कयासों को हालांकि त्यागी ने खारिज किया.