पटना : सार्वजनिक बैंकों में बिहार से नामित निदेशक नहीं
बिहार जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों से किसी प्रतिनिधि को नहीं लिया गया है पटना : देश के सार्वजनिक बैंकों में बिहार से एक भी नामित निदेशक नहीं है. जबकि, बिहार से काफी छोटे राज्यों से सार्वजनिक बैंकों में कई नामित निदेशक हैं. वर्तमान समय में सार्वजनिक बैंकों में केंद्र सरकार की ओर से […]
बिहार जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों से किसी प्रतिनिधि को नहीं लिया गया है
पटना : देश के सार्वजनिक बैंकों में बिहार से एक भी नामित निदेशक नहीं है. जबकि, बिहार से काफी छोटे राज्यों से सार्वजनिक बैंकों में कई नामित निदेशक हैं. वर्तमान समय में सार्वजनिक बैंकों में केंद्र सरकार की ओर से लगभग 41 पब्लिक प्रतिनिधि निदेशक के रूप में नियुक्त है.
बिहार में सार्वजनिक बैंक और निजी बैंक मिलाकर 35 बैंक मौजूद हैं. इनमें 20 सार्वजनिक बैंक शामिल हैं. दिल्ली के 14, मुंबई के 6, बेंगलुरु के 6, कोलकाता के 2, चेन्नई के एक, हैदराबाद के दो, अहमदाबाद के दो, ओड़िशा के दो, पुणे के दो तथा बड़ौदा, अमृतसर, मदुरै व नैनीताल के एक-एक प्रतिनिधि हैं. लेकिन, बिहार राज्य जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों से किसी प्रतिनिधि को नहीं लिया गया है.
इसी तरह वर्तमान में देश में 20 सार्वजनिक बैंक है जिनका मुख्यालय देश के बड़े नगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, बड़ौदा, मैंगलोर और मनीपाल में हैं. जिसमें दिल्ली में तीन, मुंबई में 6, कोलकाता में 3, चेन्नई में 2, बेंगलुरु में 2 और हैदराबाद, पुणे, बड़ौदा, मैंगलोर तथा मनीपाल में एक-एक मुख्यालय है. लेकिन, बिहार में किसी बैंक का मुख्यालय नहीं है.
आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रभाव
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने पीएम मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर सार्वजनिक बैंकों का कम-से-कम एक मुख्यालय सूबे में स्थापित करने तथा सार्वजनिक बैंकों में बिहार से भी निदेशक नामित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने बताया कि सार्वजनिक बैंकों में सरकार के द्वारा जो पब्लिक प्रतिनिधि निदेशक के रूप में नामित होते हैं, उसमें देश के बड़े शहरों के हैं.
अग्रवाल ने बताया कि बिहार सार्वजनिक बैंक का मुख्यालय नहीं होने व प्रतिनिधित्व के अभाव होने के कारण आम जनता के साथ-साथ बिहार के आर्थिक विकास की बहुत सारी समस्याओं व सुझावों से बैंक अवगत नहीं हो पाता है. इसका प्रतिकूल प्रभाव सूबे के औद्योगिक, आर्थिक व व्यावसायिक गतिविधियों पर पड़ता हैं.