उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित : विज्ञापन में किये गये दावों पर उत्पाद के खरा नहीं उतरने पर अब लोकप्रिय हस्तियों पर सख्त कार्रवाई

नयी दिल्ली : लोकप्रिय हस्तियों द्वारा विज्ञापन में किये गये दावों पर उत्पाद खरा नहीं उतरने पर अब उत्पाद बनानेवाली कंपनी के साथ-साथ विज्ञापन करनेवाले लोकप्रिय हस्तियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा सकेगी. राज्यसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित हो गया है. जानकारी के मुताबिक, संसद ने मंगलवार को उपभोक्ताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2019 8:10 AM

नयी दिल्ली : लोकप्रिय हस्तियों द्वारा विज्ञापन में किये गये दावों पर उत्पाद खरा नहीं उतरने पर अब उत्पाद बनानेवाली कंपनी के साथ-साथ विज्ञापन करनेवाले लोकप्रिय हस्तियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा सकेगी. राज्यसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित हो गया है.

जानकारी के मुताबिक, संसद ने मंगलवार को उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के मकसद से केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना तथा खराब सामान एवं सेवाओं की खामियों के संदर्भ में शिकायतों के निवारण की व्यवस्था करने के प्रावधान वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी. राज्यसभा ने इन प्रावधानों वाले उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया. विधेयक पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्तावों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है.

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि चर्चा में सदस्यों ने जो सुझाव दिये हैं, उनको इस कानून के नियम बनाते समय शामिल किया जायेगा. चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी की जया बच्चन सहित कुछ सदस्यों ने प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा किये जानेवाले भ्रामक विज्ञापनों का मुद्दा उठाया था. इसके जवाब में पासवान ने कहा कि लोकप्रिय हस्तियों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे पर स्थायी समिति ने जेल की सजा का सुझाव दिया था.

मंत्री ने कहा कि ”लेकिन विभिन्न देशों के अनुभवों पर गौर करने पर यह पाया गया कि इस मामले ऐसी हस्तियों के लिए गंभीर सजा का प्रावधान नहीं है.” उन्होंने कहा कि मीडिया एवं लोकप्रिय हस्तियों को केवल वही विज्ञापन करने चाहिए, जो उन्हें लिखित में दिये गये थे. यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उन्हें भ्रामक विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार माना जायेगा. पासवान ने कहा कि राज्य सरकारों को ‘जागो ग्राहक जागो’ जैसे उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान देना चाहिए. विधेयक में उपभोक्ताओं के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने तथा खराब सामग्री और सेवा के संबंध में शिकायतों के निवारण के लिए एक व्यवस्था कायम करने का प्रयास किया गया है. नयी व्यवस्था में केंद्र और राज्य सरकारों को उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण में न्यायिक और गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त करने का अधिकार होगा. अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के बारे में पासवान ने कहा कि कई रेस्तरां में अधिक पैसे वसूले जाते हैं, लेकिन सरकार की ओर से जब हस्तक्षेप किया गया, तो वे अदालत में चले गये. उन्होंने कहा कि विभिन्न उत्पादों पर उत्पादकों को एमआरपी, उसके बनने की तारीख, उसके उपयोग के कुल समय और समाप्ति की अवधि को पठनीय अक्षरों में छापना चाहिए. विधेयक में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना का प्रस्ताव है, जिसका मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होगा. इसमें उपभोक्ता विवादों के निबटारे के लिए आयोग गठित करने के साथ जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर फोरम गठित करने का प्रस्ताव किया गया है.

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