दो वर्षों में 2.75 करोड़ के डस्टबीन कबाड़ अब चिप वाले डस्टबीन लगाने की तैयारी

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : नगर निगम में कचरा के अलावा डस्टबीनों लगाने व हटाने के खेल भी बड़े निराले हैं. वर्ष 2016 के अंत से लेकर वर्ष 2018 के मध्य तक बड़े-छोटे डस्टबीनों को लेकर नगर निगम ने मोटी रकम खर्च की है. इसमें 400 से अधिक बड़े डस्टबीनों को लगाया गया. उस दौरान बताया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2019 5:09 AM

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : नगर निगम में कचरा के अलावा डस्टबीनों लगाने व हटाने के खेल भी बड़े निराले हैं. वर्ष 2016 के अंत से लेकर वर्ष 2018 के मध्य तक बड़े-छोटे डस्टबीनों को लेकर नगर निगम ने मोटी रकम खर्च की है. इसमें 400 से अधिक बड़े डस्टबीनों को लगाया गया. उस दौरान बताया गया था कि एक डस्टबीन की लागत लगभग छह हजार रुपये है.

इसके अलावा कलात्मक डस्टबीन के नाम पर एक साथ एक जोड़ी दर्जनों स्टील वाले डस्टबीन शहर में लगे. बड़े डस्टबीनों को लगाने में लगभग 24 लाख व स्टील वाले डस्टबीन में 1.5 करोड़ रुपये के करीब राशि खर्च की गयी. मगर, दो वर्षों के बाद स्टील वाले 90 फीसदी डस्टबीन या तो खराब या हट चुके हैं.
बगैर प्लानिंग के हटे डस्टबीन
बीते वर्ष दो अक्तूबर को शहर में हर घर में कचरा उठाव के बाद से नगर निगम ने मुख्य सड़कों से बड़े डस्टबीन हटाने की शुरुआत की थी. इस दौरान बोरिंग व बोरिंग कैनाल रोड, बेली रोड, पटना जंक्शन के बाहर, अशोक राजपथ से लेकर तमाम मुख्य सड़कों से डस्टबीनों को हटा दिया गया. इस समय निगम अधिकारियों व पार्षदों ने राज्य के बाहर शहरों का हवाला देकर कहा था कि जब हर घर व दुकानों से कचरा का उठाव कर लिया जायेगा, तो सड़क पर कचरा डंप करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. ऐसे में अब डस्टबीनों को हटा दिया गया.
डस्टबीन सड़कों पर
अब एक वर्ष बीतने के बाद नगर निगम एक बार फिर से सड़कों से डस्टबीन लगाने की कवायद शुरू कर दी गयी है. स्मार्ट सिटी के तहत योजना है कि शहर में लगभग 2000 ऐसे डस्टबीनों को लगाया जाये, जिसमें चिप लगी हो और जैसे ही कचरा वाहन डस्टबीन के पास गुजरे तो चिप के माध्यम से सेंसर एक्टिव हो जाये और कचरा उठाव सुनिश्चित हो जाये. कुल मिला कर अब दोबारा डस्टबीनों को लगाने की फिर योजना शुरू हो गयी है.
डस्टबीन को किया डंप
निगम की ओर से खरीदे गये डस्टबीन ही अब कचरा बन चुके हैं. इसको नगर निगम ने कई जगहों पर ऐसे ही डंप कर दिया है. लोहे के डस्टबीन अंचल कार्यालय व अन्य जगहों पर धूप-पानी में सड़ रहे हैं. अंचलों के अलावा बेऊर मोड़ के पास भी डस्टबीन का पहाड़ पड़ा हुआ है.
अब कलात्मक डस्टबीन की जगह छोटे डस्टबीन.
हाइकोर्ट व बेली रोड में रखे जा रहे डस्टबीन.
लूट का जरिया बना डस्टबीन
इधर, पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू के अनुसार डस्टबीनों को लगाना और फिर से उनको हटा कर कर नये डस्टबीन लगाना लूट का जरिया है.
हालांकि, मेयर सीता साहू के अनुसार प्लानिंग के तहत व तकनीक के साथ डस्टबीनों को अपडेट कर लगाया जा रहा है. हम लोग बेहतर शहर के लिए काम कर रहे हैं.

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