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फोन में अश्लील गेम खेलने की थी आदत

पटना : पाटलिपुत्र थाने के नेहरू नगर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव सौरभ भट्टाचार्य (काल्पनिक नाम) ने सेक्स वीडियो की नकल उतारने के दौरान ऐसी व्यवस्था कर रखी थी कि गर्दन में फंदा न कसे. सूत्रों के अनुसार, इसके लिए उसने बेडशीट की जो रस्सी बनायी थी, उसके नीचे मोटा कपड़ा लगा रखा था. लेकिन बेडशीट की […]

पटना : पाटलिपुत्र थाने के नेहरू नगर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव सौरभ भट्टाचार्य (काल्पनिक नाम) ने सेक्स वीडियो की नकल उतारने के दौरान ऐसी व्यवस्था कर रखी थी कि गर्दन में फंदा न कसे. सूत्रों के अनुसार, इसके लिए उसने बेडशीट की जो रस्सी बनायी थी, उसके नीचे मोटा कपड़ा लगा रखा था. लेकिन बेडशीट की रस्सी अपने जगह से खिसक गयी और गर्दन दब जाने से मौत हो गयी.

उसे संभलने का भी मौका नहीं मिला. सूत्रों का कहना है कि यह पटना जिला के लिए पहला मामला है, जिसमें इस तरह से मौत होेने की बातें सामने आयी है. पुलिस भी आश्चर्यचकित है. हालांकि इस मामले में यूडी केस दर्ज करने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया और परिजनों को सौंप दिया गया. परिजन ने भी कुछ विशेष जानकारी अपने बयान में नहीं दिया है.
हमेशा मोबाइल से चिपके रहता था : सौरभ को अलग-अलग टाइप के काम करने की आदत की जानकारी पुलिस को जांच में मिली है. उसे पबजी गेम और सेक्स गेम खेलने की आदत थी. इसके अलावा हमेशा मोबाइल से चिपके रहना भी उसकी विशेष आदत थी.
रूम पार्टनर से पूछताछ में पुलिस को यह जानकारी मिली है कि वह मोबाइल देखने में इतना व्यस्त हो जाता था कि कौन रूम में आ रहा है और कौन जा रहा है, इसकी भी उसे जानकारी नहीं होती थी. विधि व्यवस्था डीएसपी राकेश कुमार ने बताया कि इस तरह का पहला केस उन्होंने देखा है. इसके पहले उनके नौकरी काल में इस तरह का केस नहीं आया था. उन्होंने बताया कि इस मामले में यूडी केस दर्ज कर लिया गया है. परिजनों ने भी किसी प्रकार का विशेष बयान नहीं दिया है.
एक्सपर्ट व्यू
यह पर्सनालिटी डिसऑर्डर है
मनोवैज्ञानिक मीनाक्षी भट्ट ने बताया कि यह एक तरह से पर्सनालिटी डिसऑर्डर है और यह किसी के अंदर बचपन से ही माहौल के अनुसार पनपने लगता है. इसके बाद युवा होने पर उसका असर दिखने लगते हैं और हरकतें अजीबो-गरीब होती है. इस तरह के लोग साधारण मनुष्य के कार्य से बिल्कुल उल्टा सोच रखते हैं और उसी तरह व्यवहार भी करते हैं. बचपन से अकेलापन पर्सनालिटी डिसऑर्डर को बढ़ाता है. यह व्यक्ति अपने आप को भी नुकसान व कष्ट पहुंचा कर संतुष्टि महसूस करना चाहता है. मोबाइल फोन अब लोगों में अकेलापन को बढ़ाने में काफी सहायक हैं.
आज घर के सभी लोग मोबाइल फोन में ही व्यस्त रहते हैं. इंटरनेट के अच्छे व खराब चीजों को सर्च करने लगते हैं. अगर एक बार इंटरनेट पर गलती से भी खराब वीडियो आ जाता है तो फिर बार-बार उस तरह के वीडियो स्क्रीन पर दिखने लगते हैं. जिससे अंत में उस वीडियो की ओर आकर्षण बढ़ता जाता है और उसी तरह करने की भी सोचने लगते हैं. इसके साथ ही मानसिक विकृति आने लगती है.

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