कानून और भूस्वामी के बीच फंसी 73 हजार एकड़ जमीन, 58 सालबाद कोर्ट के फैसले पर टिकी है भूस्वामियों की नजर
पटना : राज्य में कानून व भूस्वामी के बीच 73 हजार 234 एकड़ सीलिंग जमीन का मामला फंसा है. लगभग 58 साल के बाद भी भूस्वामियों की कोर्ट के फैसले पर नजर है. विभिन्न न्यायालयों में सीलिंग जमीन से संबंधित 829 मामले लंबित हैं. सरकार द्वारा भूस्वामियों से सीलिंग एक्ट में ली गयी जमीन के […]
पटना : राज्य में कानून व भूस्वामी के बीच 73 हजार 234 एकड़ सीलिंग जमीन का मामला फंसा है. लगभग 58 साल के बाद भी भूस्वामियों की कोर्ट के फैसले पर नजर है. विभिन्न न्यायालयों में सीलिंग जमीन से संबंधित 829 मामले लंबित हैं. सरकार द्वारा भूस्वामियों से सीलिंग एक्ट में ली गयी जमीन के खिलाफ एसडीओ कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है.
सीलिंग एक्ट में निर्धारित 15 एकड़ से अधिक जमीन को सरकार ने अपने कब्जे में किया है. इसके बाद उक्त जमीन से भूस्वामियों का स्वामित्व समाप्त कर दिया गया. इसके बावजूद भूस्वामियों ने जमीन को बचाने के लिए न्यायालय की शरण में गये हैं.
अब इसे लेकर वो फैसले की आस में हैं. विभागीय सूत्रों के मुताबिक 73 हजार एकड़ इन जमीनों पर कहीं जमीन मालिकों का कब्जा है, तो कहीं-कहीं आवंटित जमीन पर भूमिहीनों का कब्जा है.
भूमिहीनाें के बीच वितरण हुई सीलिंग जमीन
सीलिंग एक्ट से प्राप्त जमीन को सरकार ने भूमिहीनों के बीच वितरित कर दिया है. राज्य में भू-हदबंदी के अधीन लगभग तीन लाख 29 हजार 192 एकड़ जमीन अर्जित की गयी. अर्जित जमीन में से सुयोग्य श्रेणी के परिवारों के बीच दो लाख 59 हजार 274 एकड़ जमीन बांट दी गयी. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शेष जमीन बांटने के योग्य नहीं है.
सरकार द्वारा भूमिहीनाें के बीच जमीन का पर्चा वितरण के बाद दबंगों द्वारा आवंटियों को उक्त जमीन से बेदखल कर दिया दिया गया. जमीन से हटाये गये भूमिहीन परिवारों को बसाने के लिए सरकार अभियान चला रही है.
क्या है सीलिंग एक्ट
जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद 1961 में सीलिंग एक्ट लागू किया गया. कानून बनने के बाद एक परिवार को 15 एकड़ से ज्यादा सिंचित भूमि रखने का अधिकार नहीं है. असिंचित भूमि के मामले में यह रकबा 18 एकड़ तक है.
कोर्ट वादों की रकवा
संख्या (एकड़)
अनुमंडल पदाधिकारी 176 22371
एडीएम 172 15802
डीएम 155 14097
प्रमंडलीय आयुक्त 13 1336
राजस्व पर्षद 51 2720
पटना हाइकोर्ट 188 10968
सुप्रीम कोर्ट 10 631
राज्यस्तरीय 64 5309