एक हजार टैबलेटों में से 400 नकली

ग्रामीण इलाकों में अधिक भेजी जाती थीं श्री हनुमान एजेंसी की दवाइयां पटना : गोविंद मित्र रोड से पकड़ी गयी नकली दवाओं को सैंपल जांच के लिए बाहर भेजने की तैयारी शुरू हो गयी है. औषधि विभाग के मुताबिक एक गोदाम से दो-चार बंडल मिले थे, जिनमें क्रॉसिन की असली व नकली दोनों दवाएं मिली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2014 6:45 AM

ग्रामीण इलाकों में अधिक भेजी जाती थीं श्री हनुमान एजेंसी की दवाइयां

पटना : गोविंद मित्र रोड से पकड़ी गयी नकली दवाओं को सैंपल जांच के लिए बाहर भेजने की तैयारी शुरू हो गयी है.

औषधि विभाग के मुताबिक एक गोदाम से दो-चार बंडल मिले थे, जिनमें क्रॉसिन की असली व नकली दोनों दवाएं मिली हुई थीं. छानबीन में पता चला कि एक हजार का बंडल बना हुआ था, उनमें लगभग 400 दवाएं नकली थीं और उसकी बिलिंग समस्तीपुर, जहानाबाद जैसी जगहों पर किया गया था.

बाकी बंडल को भेजने की तैयारी चल रही थी. गोदाम से ऐसी नामी कंपनियों के स्टांप और रैपर मिले, जिनकी दवाओं को बाजार में लोग बिना एक्सपायरी देखे भी ले लेते हैं. जानकारी के मुताबिक लगभग एक हजार तरह के रैपर बरामद हुए हैं, जिनको फिजिशियन सैंपल या अन्य तरीकों से बाजार में भेजा जाता था.

बिहार की दवा मंडी से जुड़े हैं कई सफेदपोश

देश भर में सबसे अधिक नकली दवाओं का निर्माण दिल्ली के नोएडा और गुड़गांव इलाके में किया जाता है, जबकि बिक्री सबसे ज्यादा बिहार की मंडी जीएम रोड में की जाती है. यहां से दवा माफियाओं की मदद से इसे राज्य के कोने-कोने में पहुंचाया जाता है. इस नेटवर्क में सफेदपोश भी शामिल हैं.

औषधि विभाग बार-बार अभियान चला कर इन्हें पकड़ता भी है. मामला दर्ज होने के बाद भी सभी कारोबारी बच निकलते हैं और उसके बाद वैसे औषधि नियंत्रक को परेशान भी करते हैं, जिनके माध्यम से उनके गोदामों को सील किया गया है. दूसरी ओर सारे नियम-कानून ताक पर रख कर आवासीय इलाकों में नकली दवाएं बनायी जाती हैं. विशेषज्ञों के बजाय अनपढ़ लोग नकली दवा का निर्माण करने में जुटे रहते हैं.

नकली दवाओं का बंडल भी मिला है. कारोबारी असली दवा में ही नकली दवा को मिला कर बाजार में भेज देते हैं. पकड़े गये सैंपल को जांच के लिए भेजा जायेगा.

हेमंत कुमार, स्टेट ड्रग कंट्रोलर

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