पटना, आरा व भागलपुर नहीं हो पाये ओडीएफ

राज्य के 12 नगर निगमों को ओडीएफ करने का मामला पटना : राज्य के 12 नगर निगमों को ओडीएफ करने की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. क्योंकि, 15 अगस्त तक सभी लाभुकों को शौचालय निर्माण की दूसरी किस्त और जिओ टैग का मामला अब भी नहीं पूरा हो पाया है. राज्य के तीन बड़े नगर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2019 8:47 AM
राज्य के 12 नगर निगमों को ओडीएफ करने का मामला
पटना : राज्य के 12 नगर निगमों को ओडीएफ करने की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. क्योंकि, 15 अगस्त तक सभी लाभुकों को शौचालय निर्माण की दूसरी किस्त और जिओ टैग का मामला अब भी नहीं पूरा हो पाया है.
राज्य के तीन बड़े नगर निगम मसलन पटना, आरा व भागलपुर में इसका काम पीछे चल रहा है. बीते दिनों नगर विकास व आवास विभाग की विभागीय योजनाओं की बैठक में इन नगर निकायों को एक सप्ताह तक का मौका दिया गया है. ताकि, वो अपने स्तर से काम पूरा कर लें. गौरतलब है कि नगर निकाय स्तर पर ओडीएफ का काम पूरा होने के बाद राज्य स्तरीय टीम सभी नगर निकायों को अपने स्तर से जांच करेगी. इसके बाद पूर्व निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप दो अक्तूबर को सभी नगर निकायों को ओडीएफ घोषित कर दिया जायेगा.
एक सीट पर पांच परिवार : नगर निकायों में भूमिहीन लोगों के लिए शौचालय की व्यवस्था भी की जानी है. इसके लिए विभाग ने सभी नगर आयुक्तों को निर्देश दिया है कि एक सीट के साथ पांच परिवारों को टैग किया जाये. इसमें सामुदायिक शौचालय की उपलब्धता भी एक माह में करा देनी है. इसके अलावा सभी नगर निकायों को निर्देश दिया गया है कि अगस्त माह के अंत तक कम से कम पांच वार्डों में ठोस कचरा
प्रबंधन के लिए कचरा उठाव के बाद कचरे के खाद बनाने की पूरी तैयारी कर लें. इसके अलावा सभी नगर निकायों को प्रत्येक माह नये वार्ड का लक्ष्य ठोस कचरा प्रबंधन के लिए दिया जायेगा.
मात्र नौ हजार लाभुकों को मिली पहली किस्त
विभाग की ओर से की गयी समीक्षा में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भी चिंता जाहिर की गयी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि नगर निकायों में 35 हजार तीन सौ 29 लाभुकों के आवास निर्माण की योजना स्वीकृत की गयी है. लेकिन, अब तक मात्र नौ हजार 82 लाभुकों को ही योजना राशि की पहली किस्त दी जा सकी है. विभाग ने सभी नगर आयुक्त को डीएम को पत्र लिख कर अंचल कार्यालय से जमीन संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग करने के निर्देश दिये हैं. ताकि, योजना में तेजी लायी जा सके.
चार वर्षों में एक भी परियोजना नहीं : आवास योजना के एक-दूसरे घटक में स्लम क्षेत्र में सस्ती दरों पर घर उपलब्ध कराने की योजना भी काफी सुस्त है.
समीक्षा में बताया गया कि योजना पूरे राज्य के नगर निकाय में लागू होने के चार वर्ष पूरा होने के बाद भी अब तक कोई भी योजना स्वीकृत नहीं हो पायी है. ऐसे में भूमिहीन गरीबों को आवास उपलब्ध कराने का मामला लटका हुआ है. इसको लेकर भी रिपोर्ट में कहा गया कि देश के अन्य राज्य से अपने राज्य की स्थिति काफी खराब है. जिसे तत्काल सुधारने की जरूरत है.

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