मोकामा: सावन बीता, पर टाल की नदियों में नहीं आया पानी, कैसे होगी दलहन की खेती

मोकामा/पंडारक : मोकामा टाल के किसानों पर एक बार फिर प्रकृति की मार पर रही है. सावन बीता, लेकिन बरसाती नदियों की धार कुंद है. नदियों में पर्याप्त पानी नहीं आया है. इससे टाल इलाके में बाढ़ का पानी नहीं फैल सका है. इसको लेकर दलहन का उत्पादन करने वाले किसान परेशान हो रहे हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2019 9:16 AM
मोकामा/पंडारक : मोकामा टाल के किसानों पर एक बार फिर प्रकृति की मार पर रही है. सावन बीता, लेकिन बरसाती नदियों की धार कुंद है. नदियों में पर्याप्त पानी नहीं आया है. इससे टाल इलाके में बाढ़ का पानी नहीं फैल सका है. इसको लेकर दलहन का उत्पादन करने वाले किसान परेशान हो रहे हैं अमूमन सावन से आश्विन मास तक टाल का इलाका जलमग्न रहता है.
इसका सकारात्मक प्रभाव दलहन के उत्पादन पर पड़ता है, लेकिन कम बारिश को लेकर इस बार टाल की धनायन, बगदाही व मुहाने नदियों में कहीं घुठने भर तो कहीं कमर भर पानी है, जबकि इन नदियों से निकलने वाले नहर सूखे पड़े हैं. पिछले साल भी टाल इलाके में सूखे की स्थिति बनी थी. टाल में बाढ़ का पानी नहीं फैलने के चलते खेतों की नमी गायब हो गयी थी. किसानों ने पटवन कर दलहन की बुआई की थी. इसमें किसानों को काफी खर्च उठाना पड़ा था. लगातार दूसरे वर्ष इसी तरह के हालात बनता देखकर किसानों के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही है. गंगा के जल स्तर में पिछले दो दिनों में इजाफा देखकर टाल की नदियों में भी उफान आने की उम्मीद जगी है.
बाढ़ के पानी पर निर्भर है दलहन की खेती: मोकामा टाल इलाका एक लाख दस हजार हेक्टयर में फैला है. इसमें फतुहा से लेकर लखीसराय के बड़हिया तक का इलाका शामिल है. इसमें शत प्रतिशत खेतों में दलहन की खेती होती है. यह पूरी तरह बाढ़ के पानी पर निर्भर है.
बाढ़ का पानी खेतों में लगातार तीन महीने तक फैला रहता है. इससे खेतों के खर- पतवार नष्ट होकर खाद का काम करते हैं. दूसरी ओर, खेतों में उपजाऊ मिट्टी की परत भी जमा हो जाती है. इससे उत्पादन में वृद्धि हो जाती है.
आश्विन मास से शुरू होती है खेती की तैयारी
टाल इलाके में आश्विन मास से दलहन लगाने की तैयारी शुरू जाती है, लेकिन इस वर्ष टाल में बाढ़ का पानी नहीं फैलने पर खेती की लागत बढ़ जायेगी. खेतों से खर- पतवार हटाने में किसानों को रात–दिन एक करना पड़ेगा. वहीं, सबसे ज्यादा परेशानी पटवन में होगी.
टाल इलाके में पटवन का साधन भी नदी व नहर का पानी है. तीन-चार साल पहले बाढ़ का पानी टाल इलाके से काफी देर से निकलता था, जिसको लेकर भी बुआई पर असर पड़ता था, लेकिन सरकार ने टाल से पानी निकालने की मुकम्मल व्यवस्था कर दी. टाल इलाके में करोड़ों की लागत से स्लुइस गेट का निर्माण कराया गया ताकि टाल से पानी जरूरत के मुताबिक निकाला जा सके, लेकिन गत वर्ष से स्थिति ठीक विपरीत हो गयी है. अब टाल में बाढ़ का पानी ही नहीं फैल रहा है.
किसानों को मिलेगी हर संभव मदद
किसानों को सरकार से हर संभव मदद मिलेगी. फिलहाल किसानों को डीजल अनुदान का लाभ मिल रहा है. वहीं कृषि विशेषज्ञों की टीम टाल में वैकल्पिक फसलों को लगाने को लेकर काम कर रही है. बोरिंग करवाने वाले किसानों को अनुदान का लाभ दिया जा रहा है.
आरके मिश्रा, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, मोकामा

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