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पटना : जुवेनाइल बोर्ड और शेल्टर होम की बदहाली पर सरकार से मांगा जवाब
सुचारु रूप से कार्यरत नहीं होने की रिपोर्ट पर जतायी नाराजगी पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के विभिन्न जिलों में बाल मित्र न्यायालय व जुवेनाइल बोर्ड का सुचारु रूप से कार्यरत नहीं होने की रिपोर्ट पर नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. मुख्य न्यायाधीश […]
सुचारु रूप से कार्यरत नहीं होने की रिपोर्ट पर जतायी नाराजगी
पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के विभिन्न जिलों में बाल मित्र न्यायालय व जुवेनाइल बोर्ड का सुचारु रूप से कार्यरत नहीं होने की रिपोर्ट पर नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
मुख्य न्यायाधीश एपी शाही की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट सचिवालय से निर्गत एक पत्र के आलोक में स्वतः शुरू की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि सूबे के सभी जिलों में किशोर न्यायालय (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड), बाल मित्र न्यायालय, संवेदनशील गवाह अदालतें (वल्नरेबल विटनेस कोर्ट ) के साथ-साथ चाइल्ड वेलफेयर कमेटी व शेल्टर होम के सुचारु रूप से चलने में हो रही कठिनाई को दूर कर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करे. विदित हो कि पिछली सुनवाई में हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि सरकार उपरोक्त न्यायालयों की वस्तुस्थिति से संबंधित रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे.
लेकिन, राज्य सरकार की रिपोर्ट भ्रामक पायी गयी. हाइकोर्ट प्रशासन ने पूरे राज्य के जुवेनाइल बोर्ड, शेल्टर होम वगैरह की वस्तु स्थिति का जो आंकड़ा इकट्ठा किया है, उसकी तुलना में राज्य सरकार की रिपोर्ट को खंडपीठ ने आधा अधूरा पाया. सरकार की ऐसी लापरवाही पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर से कहा किया कि वे हाइकोर्ट प्रशासन की रिपोर्ट के आलोक में राज्य सरकार से सही व नवीनतम आंकड़े मंगवाएं, जिनके आधार पर सूबे के हरेक जिले में जुवेनाइल बोर्ड, बाल मित्र न्यायालय, शेल्टर होम, बाल कल्याण समिति सुचारु रूप से काम कर सकें. इन सब बिंदुओं पर राज्य सरकार को चार हफ्ते में जवाब देना है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही सुनवाई : मालूम हो कि नौ फरवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने संपूर्णा बेहरा की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य की सरकारों को प्रत्येक जिलों में बाल मित्र व किशोर न्यायालय के सुचारु ढंग से काम करने और जुवेनाइल जस्टिस कानून के सभी प्रावधान को अनिवार्य रूप से लागू करने को कहा था.
इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने सचिवालय को भी निर्देश दिया था कि देश के तमाम हाइकोर्ट प्रशासन को पत्र लिख कर यह कहे कि प्रत्येक हाइकोर्ट प्रशासन न्याय हित में इस मामले को मॉनीटर करें कि उनके राज्य में बाल मित्र व किशोर न्यायालयों को गठित कर सुचारु रूप से चलाया जा रहा है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट सचिवालय से पत्र मिलते ही हाइकोर्ट ने उक्त पत्र को स्वतः पीआइएल में तब्दील कर सुनवाई शुरू की. इस मामले पर अब अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी.
हाइकोर्ट ने राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं, डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की जनहित याचिका पर न्यायाधीश शिवाजी पांडेय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की.
कोर्ट को बताया गया कि इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है. मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं के बराबर है. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है. आर्थिक रूप से कमजोर लोग अपना इलाज नहीं करा पाते हैं. यह भी बताया गया कि संविदा पर डॉक्टर नियुक्त किये जा रहे हैं, जबकि स्थायी डाॅक्टर रखे जाने चाहिए.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने जानकारी दी कि 4103 डॉक्टर के 9725 एएनएम व करीब 2800 नर्स के स्वीकृत पद खाली हैं. दूसरी ओर डॉक्टरों, नर्सों व अन्य कर्मचारियों को ठेके पर बहाल किया जाता है. इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जायेगी.
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