पेंडिंग केसों के तेजी से निबटारे को अब तैयार हुई बिहार पुलिस, मिला टास्क लेकिन ये हैं चुनौतियां
अनुज शर्मापटना : सभी थानों में अनुसंधान और विधि-व्यवस्था विंग अलग-अलग होने के बाद अब बिहार पुलिस ने केसों के तेजी के निबटारे (अनुसंधान) पर फोकस किया है. उसकी कोशिश है कि अब थानों में कोई केस ज्यादा समय पर पेंडिंग नहीं रहे. बिहार पुलिस ने लंबित केसों के निबटारे के लिए अभियान शुरू कर […]
अनुज शर्मा
पटना : सभी थानों में अनुसंधान और विधि-व्यवस्था विंग अलग-अलग होने के बाद अब बिहार पुलिस ने केसों के तेजी के निबटारे (अनुसंधान) पर फोकस किया है. उसकी कोशिश है कि अब थानों में कोई केस ज्यादा समय पर पेंडिंग नहीं रहे. बिहार पुलिस ने लंबित केसों के निबटारे के लिए अभियान शुरू कर दिया है. करीब डेढ़ लाख पुराने केसों की गठरी का बोझ उतारने के लिए अनुसंधान पदाधिकारी 19 महीने तक दिन-रात जांच करेंगे. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने सभी रेंज के आइजी व डीआइजी की जिम्मेदारी तय कर दी है.
बिहार पुलिस को हर महीना कम-से-कम आठ हजार पुराने मामलों का निबटारा करना होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधि- व्यवस्था की समीक्षा बैठक में डीजीपी को लंबित केसों का अनुसंधान पूरा कराने का आदेश दिया था. एक अगस्त, 2019 तक लंबित केसों की संख्या 1.48 लाख है. वहीं, हर महीना करीब 25 हजार नये मामले दर्ज हो रहे हैं.
डीजीपी ने प्लान तैयार किया है कि हर जिला कम-से-कम 200 लंबित मामलों का हर महीना अनुसंधान पूरा करे. साथ ही नये मामलों को लंबित न होने दे. सभी रेंज के आइजी-डीआइजी को इसका टास्क सौंपा गया है. थानों में 15 अगस्त से अनुसंधान व विधि-व्यवस्था अलग-अलग होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने जिलों से यह रिपोर्ट मांगी है कि उनके यहां अनुसंधान और विधि-व्यवस्था में कितने-कितने पदाधिकारी हैं.
मिला टास्क : 19 महीनों के अंदर 1.48 लाख पेंडिंग केसों का अनुसंधान करना होगा पूरा