पटना : लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस सुस्त पड़ गयी है. नेतृत्व के पास जनता को जोड़ने वाला कोई कार्यक्रम नहीं है. स्थिति यह है कि अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, लेिकन अब तक उम्मीदवार और पार्टी के कैडर दोनों सुस्त पड़े हैं.सीटिंग विधायक अपने क्षेत्र तक ही सीमित हैं. जबकि, अन्य राजनीतिक दलों द्वारा सदस्यता अभियान और सदस्यों को सक्रिय बनाने के लिए कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. भाजपा का विरोध करने वाली कांग्रेस चुनाव के बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष के संकट से जूझती रही.
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कांग्रेस में जनता से जुड़ने वाला कार्यक्रम नहीं
पटना : लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस सुस्त पड़ गयी है. नेतृत्व के पास जनता को जोड़ने वाला कोई कार्यक्रम नहीं है. स्थिति यह है कि अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, लेिकन अब तक उम्मीदवार और पार्टी के कैडर दोनों सुस्त पड़े हैं.सीटिंग विधायक अपने क्षेत्र तक ही सीमित हैं. जबकि, […]
इधर, भाजपा लगातार कभी सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर तो कभी अटल कविता पाठ के नाम पर तो वर्तमान में सदस्यता अभियान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच कार्यक्रम चला रही है. जदयू द्वारा भी सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. देर से ही सही राजद द्वारा भी सदस्यता अभियान की शुरुआत की गयी है.
वाम दलों के नेता लोकसभा चुनाव के बाद राज्य का दौरा कर जनता से संपर्क बनाये हुए हैं. इसके इतर लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के नेता राहुल गांधी का पटना में आगमन, तो हुआ पर वह अदालती कार्रवाई में शामिल होने के लिए पटना आये थे. लोकसभा चुनाव के बाद एक भी राष्ट्रीय स्तर के नेता ने बिहार की यात्रा नहीं की.
प्रदेश में हैं पार्टी के 27 िवधायक
जानकार बताते हैं कि पार्टी से परंपरागत रूप से जुड़े हुए नेता दलबदलुओं को टिकट मिल जाने के कारण सुस्त बैठे हैं. राज्य की 243 सीटों में से 27 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. स्थिति यह है कि पूरे राज्य की 200 से अधिक सीटों पर पार्टी की निष्क्रियता साफ दिखती है.
पार्टी नेताओं का मानना है कि गठबंधन में पार्टी की सीटों की संख्या ही अनिश्चय में है.
ऐसे में कोई नेता किस आधार पर पार्टी की गतिविधियां चलाये.
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