पटना : 40% आरक्षण मामले में सरकार से मांगा जवाब
पॉलिटेक्निक कॉलेजों से पास छात्रों का बहाली मामला पटना : हाइकोर्ट ने सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों से पास छात्रों को बहाली में 40 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने सरकार को जवाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है. साथ ही बहाली प्रक्रिया […]
पॉलिटेक्निक कॉलेजों से पास छात्रों का बहाली मामला
पटना : हाइकोर्ट ने सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों से पास छात्रों को बहाली में 40 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने सरकार को जवाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है. साथ ही बहाली प्रक्रिया को जारी रखते हुए रिजल्ट को सील बंद लिफाफे में रखे जाने का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने देवराज सिंघानिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. कोर्ट को बताया गया कि कनीय अभियंता की बहाली में सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों से पास छात्रों को 40 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. जबकि, प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेजों से पास छात्रों को इस आरक्षण से बाहर रखा गया है.
कोर्ट को बताया गया कि पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों को न तो राज्य सरकार और न ही प्राइवेट कालेज डिग्री देती है. सरकारी या प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास छात्रों को स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्नीकल एजुकेशन डिग्री देती है. ऐसे में डिग्री पर भेदभाव करना भारतीय संविधान के खिलाफ है.
पटना : जन शिक्षा निदेशक सह अपर सचिव कुमार रामानुज ने सारण जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिये हैं कि हाल ही में समायोजित किये गये 22 विशेष अनुदेशकों की जांच करके इनके समायोजन की स्थिति स्पष्ट करें. इसकी जांच रिपोर्ट 16 सितंबर तक मांगी गयी है.
उनका यह एक आधिकारिक पत्र सारण के ही राजेश कुमार सिंह के एक आरोप पत्र के बाद जारी किया गया है. राजेश कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि 22 विशेष अनुदेशकों को नियम ताक पर रखकर समायोजन किया गया है. इनके समायोजन में कई प्रकार की अनियमितता बरती गयी हैं. उनके यह आरोप सारण की जिला स्तरीय कमेटी के ऊपर हैं.
अनुशंसा रद्द कर दी है : इसी तरह एक अन्य आधिकारिक पत्र में निदेशक रामानुज ने सारण के अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक मो मुबारक हुसैन और अताउर रहमान अंसारी के समायोजन की अनुशंसा रद्द कर दी है.
दरअसल जांच में पाया गया है कि इन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पायी है. सारण जिला शिक्षा पदाधिकारी को लिखा है कि इन दोनों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी जाये. उल्लेखनीय है कि इन दोनों के समायोजन की अनुशंसा अप्रैल 2018 में की गयी थी.