हाइकोर्ट के इतिहास में पहली बार किसी जज से लिये गये सारे काम वापस, जानें क्‍या है पूरा मामला

अदालत के भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने वाले जस्टिस राकेश के आदेश को किया निलंबित पटना हाइकोर्ट. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में 11 जजों के पूर्ण पीठ का फैसला पटना : पटना हाइकोर्ट में गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही की अध्यक्षता में 11 जजों के फुल कोर्ट ने एक दिन पहले दिये जस्टिस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2019 8:13 AM
अदालत के भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने वाले जस्टिस राकेश के आदेश को किया निलंबित
पटना हाइकोर्ट. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में 11 जजों के पूर्ण पीठ का फैसला
पटना : पटना हाइकोर्ट में गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही की अध्यक्षता में 11 जजों के फुल कोर्ट ने एक दिन पहले दिये जस्टिस राकेश कुमार के आदेश को निलंबित कर दिया.
पटना हाइकोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब कोर्ट की फुल बेंच अपने ही सहयोगी जज के आदेश के खिलाफ बैठी और उनके आदेश को निलंबित करने का फैसला सुनाया. इतना ही नहीं, मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर जस्टिस राकेश कुमार को आवंटित सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिये गये. गुरुवार की देर रात शुक्रवार के लिए जारी काउज लिस्ट में भी जस्टिस राकेश कुमार के नाम कोई कार्य अावंटित नहीं हुआ.
गुरुवार को जस्टिस अंजनी कुमार के साथ जस्टिस राकेश कुमार की डबल बेंच में सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन डबल बेंच से भी उनका नाम वापस लेकर जस्टिस अंजनी कुमार का सिंगल बेंच कोर्ट लगाया गया. जस्टिस राकेश कुमार के आदेश को लेकर बैठी पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही के अलावा जस्टिस विकास जैन, जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह, जस्टिस प्रभात कुमार झा, जस्टिस अंजना मिश्रा, जस्टिस आशुतोष कुमार, जस्टिस बीरेंद्र कुमार, जस्टिस विनोद कुमार सिन्हा जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय, जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस एस कुमार शामिल थे.
आम दिनों की तरह निर्धारित कोर्ट से इतर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में 11 जजों की पूर्ण पीठ करीब दो घंटे बैठी रही. इससे जस्टिस राकेश कुमार को अलग रखा गया. वह अपने कक्ष में बैठे रहे.
इधर, वकीलों से खचाखच भरे कोर्ट में पूर्ण पीठ ने जस्टिस राकेश कुमार द्वारा दिये गये आदेश को सर्वसम्मति से फिलहाल निलंबित करने का आदेश पारित किया. महाधिवक्ता की मौजूदगी में फुल कोर्ट की राय थी कि अखबारों में जिस प्रकार जस्टिस राकेश कुमार के फैसले और उनकी बातें प्रकाशित हुई हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं.
उनकी कोई व्यक्तिगत व्यथा होगी, जिसके चलते पूरा कोर्ट बदनाम नहीं हो सकता. जिस समय पूर्ण पीठ में इस मसले पर विचार किया जा रहा था, उसी समय कोर्ट को बताया गया समाचार पत्रों में जितनी बातें प्रकाशित की गयी हैं, उनसे कहीं अधिक जस्टिस राकेश कुमार के आदेश में बातें कही गयी हैं. पीठ के समक्ष आदेश की प्रति भी लायी गयी. पीठ ने जस्टिस राकेश कुमार के कोर्ट में बुधवार को कार्यरत कोर्ट अधिकारी को तलब किया. कोर्ट अफसर को तत्काल शोकाॅज नोटिस जारी करते हुए उन्हें कोर्ट में ही जवाब देने को कहा गया.
कोर्ट अफसर ने पूर्ण पीठ को बताया कि जस्टिस राकेश कुमार के कहने पर ही उन्होंने संबंधित केस को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था. इस पर पीठ ने तल्ख टिप्पणी की कि जब एक बार केस खत्म हो गया, तो उसे दोबारा सुनने का यह अधिकार जस्टिस राकेश कुमार की कोर्ट को किसने दिया.
इस दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर, अपर महाधिवक्ता पुष्कर नारायण शाही और अंजनी कुमार, तीन अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा, वरीय अधिवक्ता यदुवंश गिरि और भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने भी अपनी बात पीठ के समक्ष रखी. सभी ने जस्टिस राकेश कुमार के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. कहा कि इससे न्यायपालिका की गरिमा को आघात पहुंचा है.पूर्ण पीठ ने बुधवार को जस्टिस राकेश कुमार के आदेश देते समय कोर्ट में उपस्थित वकीलों से भी जानकारी ली.
यह था मामला
जस्टिस राकेश कुमार ने बुधवार को पूर्व आइएएस अधिकारी केपी रामय्या को निचली अदालत से जमानत मिलने पर नाराजगी जाहिर करते हुए तल्ख टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि निचली अदालतों के भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को हाइकोर्ट का संरक्षण मिलता है.
जिस अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त होना चाहिए, उसे मामूली-सी सजा देकर छोड़ दिया जा रहा है. मेरे सहयोगी जजों ने भी मेरे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ उठायी गयी आवाज को दरकिनार कर दिया है. उन्होंने कहा कि जब से न्यायमूर्ति पद की शपथ ली है, तब से देख रहा हूं कि सीनियर जज मुख्य न्यायाधीश को मस्का लगाने में मशगूल रहते हैं, ताकि उनसे कोई फेवर ले सकें व भ्रष्टाचारियों को भी फेवर दे सकें.
मालूम हो कि पटना हाईकोर्ट ने केपी रामय्या को निचली अदालत में सरेंडर करने का निर्देश दिया था. विजिलेंस से जुड़े होने के कारण विजिलेंस जज मधुकर कुमार के कोर्ट में जमानत पर सुनवाई होनी चाहिए थी. वह एक दिन की छुट्टी पर थे व उनकी जगह पर प्रभारी न्यायिक पदाधिकारी विपुल कुमार सिन्हा को चार्ज सौंपा गया था. उसी दिन रामय्या ने जमानत सह सरेंडर याचिका दायर कर जमानत ले ली थी.
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जस्टिस राकेश कुमार के आदेश से गिरी न्यायपालिका की प्रतिष्ठा : मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा कि जस्टिस राकेश कुमार के आदेश के बारे में समाचार पत्रों में छपी खबरों को देखकर हम हतप्रभ हैं. उनके आदेश से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और गरिमा आम लोगों की नजर में गिरी है. उन्होंने कहा कि जस्टिस राकेश कुमार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एक निष्पादित मामले में आदेश पारित कर अनैतिक कार्य किया है.
उन्होंने कहा कि कानून ने जो अधिकार नहीं दिया है, उसको खुद अधिकार मान कर स्वतः केस को अपने यहां सूचीबद्ध कर सुनवाई करना और उस पर आदेश पारित करना कहीं से भी सही नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसी एक जज को पूरे हाइकोर्ट को बदनाम करने का अधिकार नहीं मिल जाता. इस मसले पर कोर्ट और बार काउंसिल के बीच कोई मतभेद नहीं है. कोर्ट की बातें बाहर चली गयीं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
जस्टिस राकेश ने कहा- भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है तो मैंने अपराध किया भले ही 11 जजों की फुल बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार के आदेश को निलंबित कर दिया, लेकिन जस्टिस राकेश कुमार अपने अादेश को सही ठहराते रहे. उन्होंने गुरुवार को कहा कि अगर भ्रष्टाचार को उजागर करना अपराध है तो मैंने अपराध किया है. मैंने जो किया, उसके लिए मुझे कोई भी पछतावा नहीं है. मुझे जो सही लगा, मैंने वही किया है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने आदेश में जिन पर आरोप लगाया है, उसी में से कुछ जज मुख्य न्यायाधीश के साथ बैठ कर पूर्ण पीठ में सुनवाई कर रहे थे.
उन्होंने स्पष्ट कहा कि मैं आज भी अपने स्टैंड पर कायम हूं. किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करूंगा. अगर मुख्य न्यायाधीश को लगता है कि वह मुझे न्यायिक कार्य से अलग रख कर खुश हैं, तो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरा किसी के प्रति कोई भी दुर्भावना नहीं है.

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