हजार दिन में पटना में बही केवल 16 दिन ही अच्छी हवा
सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट की अध्ययन रिपोर्ट जारी पटना :पटना में अच्छी हवा दुर्लभ होती जा रही है. सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के अध्ययन रिपोर्ट इस बात की पुष्टि कर रही है. सीड की एंबियंट एयर क्वालिटी एसेसमेंट ऑफ सिटीज इन बिहार (बिहार के शहरों में परिवेशी वायु गुणवत्ता की […]
सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट की अध्ययन रिपोर्ट जारी
पटना :पटना में अच्छी हवा दुर्लभ होती जा रही है. सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के अध्ययन रिपोर्ट इस बात की पुष्टि कर रही है.
सीड की एंबियंट एयर क्वालिटी एसेसमेंट ऑफ सिटीज इन बिहार (बिहार के शहरों में परिवेशी वायु गुणवत्ता की पड़ताल) रिपोर्ट के मुताबिक 2015 के बाद हजार दिनों की मॉनीटरिंग में केवल 16 दिन ही अच्छी गुणवत्ता श्रेणी की सांस लेने योग्य हवा चली. यह शोध निष्कर्ष केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से बीते सालों में पटना, गया, मुजफ्फरपुर शहरों के जारी किये गये आंकड़ों पर आधारित है.
यह रिपोर्ट अक्तूबर, 2015 से लेकर जुलाई, 2019 की अवधि में के बीच की है. बिहार के तीनों शहरों, पटना, गया और मुजफ्फरपुर में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति पायी गयी. जहां पीएम 2.5 की सालाना सघनता राष्ट्रीय सुरक्षा मानक से तीन से चार गुना अधिक रही. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सालाना मानक से 17 गुना अधिक पायी गयी है.
पिछले तीन सालों में वर्ष 2016 से 2018 के बीच पटना में पीएम 2.5 की सालाना औसत सघनता 144 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर , 136 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, 121 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर क्रमशः थी.वहीं इसी अवधि में मुजफ्फरपुर में इसकी सघनता 119 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, 134 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 107 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पायी गयी.
इस मापदंड पर गया भी पीछे नहीं है, जहां इन तीन वर्षों में औसत प्रदूषण स्तर क्रमशः 171 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, 143 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 92 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर आंका गया. हालांकि पीएम 2.5 की सघनता इन शहरों में वर्ष 2016 से 2018 के बीच थोड़ी सी घटी है.
सीड की सीनियर प्रोग्राम अफसर अंकिता ज्योति ने बताया कि प्रदेश के मुख्य शहरों सांस लेने योग्य अच्छी हवा दिनों दिन घटती जा रही है. यह अलार्मिंग स्थिति है. खराब हवा स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है.