सभी होटल, बड़े रेस्टोरेंट व बैंक्वेट हॉल को एनओसी लेना अनिवार्य
पटना : राज्य के सभी होटल, बड़े रेस्टोरेंट और बैक्वेट हॉल को कॉन्सेंट टू इस्टेबलिशमेंट (सीटीइ) प्रमाणपत्र यानी एनओसी बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से लेना होगा. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर निर्धारित कर दी गयी है.सभी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा. यह निर्देश उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शनिवार को […]
पटना : राज्य के सभी होटल, बड़े रेस्टोरेंट और बैक्वेट हॉल को कॉन्सेंट टू इस्टेबलिशमेंट (सीटीइ) प्रमाणपत्र यानी एनओसी बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से लेना होगा. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर निर्धारित कर दी गयी है.सभी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा. यह निर्देश उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शनिवार को दिया. अरण्य भवन में आयोजित होटल, रेस्टोरेंट व बैंक्वेट हॉल से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए उनके प्रतिनिधियों से विचार के दौरान पर्षद के चेयरमैन एके घोष को पुख्ता व्यवस्था करने का निर्देश दिया.
उन्होंने कहा कि पटना नगर निगम ने पहली बार डोर-टू-डोर कचरा उठाना शुरू किया है. कई लोगों की शिकायत पर उन्होंने सभी निगमकर्मियों को पहचानपत्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. सभी होटल, रेस्टोरेंट व बैंक्वेट हॉल को अधिक-से-अधिक पौधा लगाने, प्लास्टिक पर प्रतिबंध संबंधी बोर्ड लगाने, ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण, मल्टीटोन हॉर्न वाली गाड़ियों के बारे में पर्षद को सूचना देने और डस्टबीन रखने का निर्देश दिया.
वन व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि एक हजार वर्ग फुट से अधिक के सभी रेस्टोरेंट, 36 से अधिक सीटों पर बैठने की व्यवस्था वाले सभी बैंक्वेट हॉल व ठहरने के सभी होटलों को सीटीइ प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है.
इस दौरान पीसीसीएफ विकास एके पांडेय, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के चेयरमैन एके घोष, सदस्य सचिव आलोक कुमार, पटना नगर निगम के अपर आयुक्त और अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ चलेगा अभियान
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि दो अक्तूबर से देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान चलेगा. इसलिए उन्होंने अभी से सभी होटल, रेस्टोरेंट व बैंक्वेट हॉल प्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों से वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दो अक्तूबर से राज्य के सभी पंचायतों में कम-से-कम एक आहर, पइन, तालाब या पोखर का पुनर्जीवित किया जायेगा. सरकार ने राज्य के सभी आहर, पइन, तालाब या पोखर का सर्वे कर लिया है.