सजा विशेष दीवान, कीर्तन से निहाल हुई संगत
पटना सिटी : श्री गुरुग्रंथ साहिब जी महाराज अनादि ज्ञान के अनंत स्रोत हैं,जो किसी एक संप्रदाय का धार्मिक ग्रंथ नहीं है,बल्कि संपूर्ण मानव को दिव्य संदेश देने वाला ग्रंथ है. आज की विषम परिस्थिति में श्री गुरुग्रंथ साहिब में वर्णित उपेदश चौहों वरण को सांझा की प्रासंगिकता बढ़ गयी है. यह बात शनिवार को […]
पटना सिटी : श्री गुरुग्रंथ साहिब जी महाराज अनादि ज्ञान के अनंत स्रोत हैं,जो किसी एक संप्रदाय का धार्मिक ग्रंथ नहीं है,बल्कि संपूर्ण मानव को दिव्य संदेश देने वाला ग्रंथ है. आज की विषम परिस्थिति में श्री गुरुग्रंथ साहिब में वर्णित उपेदश चौहों वरण को सांझा की प्रासंगिकता बढ़ गयी है.
यह बात शनिवार को गायघाट स्थित बड़ी संगत गुरुद्वारा में संपन्न आदि श्री गुरुग्रंथ साहिब के 415 वें गुरुपर्व पर सजे विशेष दीवान में वक्ताओं ने कही. विशेष दीवान की कार्यवाही का संचालन तख्त श्री हरिमंदिर साहिब के वरीय मीत ग्रंथी ज्ञानी बलदेव सिंह कर रहे थे.
इससे पहले वहां बीते गुरुवार से मुख्य ग्रंथी परशुराम सिंह की देखरेख में चल रहे 48 घंटे के श्री गुरुग्रंथ साहिब के अखंड पाठ की समाप्ति के बाद सजे विशेष दीवान में कथावाचक ज्ञानी डॉ मनप्रीत सिंह (दिल्ली) व तख्त साहिब के हजूरी कथावाचक सेवा सिंह ने कथा प्रवचन किया. वहीं, रागी जत्थों में भाई बिक्रम सिंह, भाई ज्ञान सिंह, हजूर साहिब, नादेड़ से आये भाई बीर सिंह व रजाैरी गार्डेन, नयी दिल्ली से आये भाई त्रिलोक सिंह रागी जत्था ने शबद कीर्तन से संगत को निहाल किया.
इस मौके पर प्रो लाल मोहर उपाध्याय की रची पुस्तक आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की महिमा का विमोचन प्रबंधक कमेटी के सचिव महेंद्र सिंह छाबड़ा ने किया. विशेष दीवान की समाप्ति हुकूमनामा व शस्त्र दर्शन के साथ विश्व बंधुत्व के लिए अरदास किया गया. इससे पहले सुबह की दीवान तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब में सजी, जिसकी शुरुआत आशा दी वार से भाई कविंदर सिंह ने की. इसके बाद कथावाचक ज्ञानी चरणजीत सिंह ने कथा की.
रागी भाई ज्ञान सिंह ने कीर्तन किया. प्रकाश उत्सव समारोह में प्रबंधक कमेटी सचिव महेंद्र सिंह छाबड़ा,सदस्य जगजोत सिंह सोही, त्रिलोचन सिंह, हरवंश सिंह, अधीक्षक दलजीत सिंह, गुरुचरण कौर,प्रबंधक दिलीप सिंह पटेल व काफी संख्या में पंजाब, हरियाणा व दूसरे प्रांतों से आयी सिख संगत ने उपस्थित होकर श्रद्धा अर्पित की. विशेष दीवान की समाप्ति के बाद गुरु का लंगर भी चला.