पटना : राम मंदिर के पक्ष में साक्ष्य, संविधान में भी राम-कृष्ण, अकबर-बाबर नहीं : रविशंकर प्रसाद

पटना : केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में मजबूत साक्ष्य हैं, फैसला कोर्ट को करना है. उन्होेंने कहा कि भारतीय संविधान में राम और कृष्ण की चर्चा है, लेकिन अकबर-बाबर कहीं नहीं हैं. शहर के रवींद्र भवन में रविवार को भाजपा के विधि प्रकोष्ठ की तरफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2019 7:53 AM

पटना : केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में मजबूत साक्ष्य हैं, फैसला कोर्ट को करना है. उन्होेंने कहा कि भारतीय संविधान में राम और कृष्ण की चर्चा है, लेकिन अकबर-बाबर कहीं नहीं हैं.

शहर के रवींद्र भवन में रविवार को भाजपा के विधि प्रकोष्ठ की तरफ से आयोजित सम्मान समारोह में रविशंकर प्रसाद ने संविधान की मूल कॉपी दिखाते हुए कहा कि इसके पहले पेज पर प्रभु श्रीराम का लंका से लौटते हुए चित्र प्रकाशित किया गया है. दूसरे पेज पर श्रीकृष्ण को गीता उपदेश देते हुए दिखाया गया है.

इसी की भावना के अनुरूप हम काम करते हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वकीलों के बीमा पर विचार करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है. नोटरी में काफी पद मौजूद हैं, इन्हें भरना चाहिए. पटना हाइकोर्ट के अलावा सभी जिलों से आये वकीलों ने उन्हें सम्मानित किया. कानून मंत्री ने कहा कि कश्मीर भारत का मुकुट है और धारा 370 इसमें दीवार पैदा करती थी. यह अलगाववाद, भ्रष्टाचार और आतंकवाद का अभिप्राय थी. इसके हटने से कश्मीर मुख्य धारा से जुड़ गया है.

नरेंद्र मोदी की सरकार हिम्मत करने वालों की सरकार है. अब तक डेढ़ हजार कानून समाप्त किये जा चुके हैं. सरदार पटेल ने धारा 370 के बारे में कहा था कि कोई साहसिक नेता आकर इसे बदलेगा. आज नरेंद्र मोदी वही साहसी नेता हैं.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में तीन तलाक का कोई वजूद नहीं है. 22 मुल्क इसे नियंत्रित कर चुके हैं. कांग्रेस सरकार ने दहेज बंदी कानून जैसे कुछ अच्छे कानून भी लाये थे, लेकिन पता नहीं इसे हटाना कैसे भूल गयी.चारा घोटाले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें एक भी अभियुक्त अब तक निर्दोष साबित नहीं हुआ है.

सम्मान समारोह को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद समेत वरीय अधिवक्ता वाइवी गिरि, रमाकांत शर्मा अन्य कई वकीलों ने भी संबोधित किया. विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष तारकेश्वर नाथ ठाकुर, प्रवीण कुमार, दीपक कुमार समेत सैकड़ों वकील मौजूद थे.

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