पटना : राज्य में चार साल विलंब से शुरू हुई अमृत योजना के तहत कैंसर, हृदय रोग और हड्डी रोग के मरीजों को इलाज के लिए सस्ती दवा व उपकरण खरीदने में और लेट होने की संभावना है. राज्य के तीन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इसकी संरचना तैयार हो चुकी है.
पर, अब तक इन अस्पतालों ने आवेदन नहीं किया है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने 14 अगस्त को इसकी समीक्षा के बाद जल्द दवा दुकानों के लाइसेंस लेने और सेवा शुरू करने का
निर्देश दिया है. इन दुकानों से मरीजों को 2200 प्रकार की सस्ती दवाएं उपलब्ध करानी हैं. इसमें सस्ता इंप्लांट भी शामिल है. केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में अमृत योजना के तहत दवा दुकानें खोलने का प्रस्ताव है. इसके तहत पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल और दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में अमृत योजना के तहत सस्ती दवा दुकानों की स्थापना की जानी है.
स्वास्थ्य विभाग के डेढ़ साल के प्रयास के बाद राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों पीएमसीएच, एनएमसीएच व डीएमसीएच में इन दुकानों की स्थापना की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.
अमृत योजना के तहत स्थापित दवा दुकानों में 202 प्रकार की कैंसर की दवा, 186 प्रकार की कार्डियो-वेस्कुलर बीमारी की दवा और 148 प्रकार के हर्ट इंप्लांट सहित अन्य दवाओं की बिक्री सस्ती दर पर की जानी है. कैंसर व हर्ट के बीमार लोगों को बाजार दर से 50-60 प्रतिशत सस्ती दवाएं इन दुकानों से उपलब्ध करायी जायेंगी. दवा दुकानों की स्थापना की जिम्मेदारी भारत सरकार की एजेंसी एचएलएल को सौंपी गयी है.