मरीजों को खाना मुहैया करा रही दीदी की रसोई
अश्विनी कुमार राय, पटना : ग्रामीण विकास विभाग जीविका द्वारा दीदी की रसोई लोगों को काफी पसंद आ रही है. दीदी की रसोई की शुरुआत वैशाली, बक्सर, शेखपुरा और पूर्णिया से हुई थी. आने वाले दिनों में गया और सहरसा में भी यह शुरू होने वाली है. बता दें कि दीदी की रसोई पूर्ण रूप […]
अश्विनी कुमार राय, पटना : ग्रामीण विकास विभाग जीविका द्वारा दीदी की रसोई लोगों को काफी पसंद आ रही है. दीदी की रसोई की शुरुआत वैशाली, बक्सर, शेखपुरा और पूर्णिया से हुई थी. आने वाले दिनों में गया और सहरसा में भी यह शुरू होने वाली है. बता दें कि दीदी की रसोई पूर्ण रूप से महिलाओं के जिम्मे है.
महिलाओं का चयन गांव में जा कर जीविका द्वारा किया गया है. ऐसी महिलाएं स्वयं सहायता समूह से भी जुड़ी हुई हैं. वे इस रसोई द्वारा उक्त जिलों के सदर अस्पतालों में खाना पहुंचा रही हैं. 100 रुपये में सुबह का नाश्ता से लेकर रात तक का खाना उपलब्ध है.
चार महिलाओं को मिलती है ऑनरशिप : दीदी की रसोई के बारे में
बताया गया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी चार सक्षम महिलाओं को ऑनरशिप मिलती है, जो कि दीदी की रसोई में देख-रेख का काम करती हैं. वहीं छह से आठ महिलाओं को मासिक वेतन पर रखा जाता है, जिन्हें छह से दस हजार रुपये मिलते हैं.
इस रसोई में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. दीदी की रसोई की शुरुआत 10 अक्तूबर, 2018 को वैशाली जिले से हुई. आने वाले समय में गया और सहरसा के बाद पटना में भी इसका विस्तार होने वाला है.
सरस मेले में भी लगी है दीदी की रसोई
दो सितंबर से चल रहे जीविका द्वारा आयोजित सरस मेले में दीदी की रसोई का स्टॉल लगा हुआ है, जिसमें काफी भीड़ है. इस स्टॉल में ठेकुआ, निमकी, गुझिया, पापड़, चिप्स के अलावा खाने की थाली भी उपलब्ध है. यहां रसोई में काम कर रही महिलाओं ने कहा कि मेले में काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. स्टॉल में हेल्पर के रूप में कुछ पुरुष भी उपलब्ध दिखे.
दीदी की रसोई की शुरुआत सदर अस्पतालों से हुई थी. क्योंकि आज भी कई अस्पतालों में मरीजों व उनके परिजनों को खाना खाने में दिक्कत होती है. गांव की महिलाओं का चयन कर ट्रेनिंग दी गयी,
संजीव कुमार, जीविका
महिलाओं के साथ मिल कर दीदी की रसोई की शुरुआत हुई. मुझे पता था कि जीविका द्वारा कैंटीन खोला गया है. हमारा इंटरव्यू हुआ था. इंटरव्यू में चयन होने के बाद ट्रेनिंग लेने के लिए केरल भेजा गया था.
संगीता देवी, हाजीपुर