पटना :पिछले दिनों महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर दावे किये जा रहे थे. वहीं, अब एनडीए में भी सीएम पद को लेकर बयानबाजी शुरू हो गयी है. भाजपा के एमएलसी डॉ संजय पासवान ने नीतीश कुमार को दिल्ली की राजनीतिकरने की नसीहत दे दी है. इससे प्रदेश की राजनीति गरमा गयी है.अपने आवास पर सोमवार को संवाददाताओं से बात करते हुए डॉ. पासवान ने कहा कि बिहार की सत्ता को डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के हवाले कर देना चाहिए और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नयी दिल्ली की राजनीति करनी चाहिए.
उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि राज्य की सत्ता सीधे तौर पर सुशील मोदी के हवाले होनी चाहिए. हालांकि उन्होंने इस मामले में कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा है कि दिल्ली जाकर नीतीश कुमार को कौन सा पद संभालना चाहिए या दिल्ली जाने का मतलब उनका क्या है.
यह पहला मौका है, जब भाजपा के किसी नेता ने सीधे तौर पर इस तरह की बात कही है. उनके इस बयान पर पार्टी कोई भी नेता कुछ नहीं बोलने को तैयार हैं. पार्टी की तरफ से भी किसी तरह की कोई सफाई या बयान जारी नहीं किया गया है.
राष्ट्रीय सामाजिक न्याय मोर्चा ने किया समर्थन
राष्ट्रीय सामाजिक न्याय मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह वरिष्ठ भाजपा नेता उपेंद्र चौहान, प्रधान महासचिव नरेश महतो एवं मुख्य प्रवक्ता नीलमणि पटेल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर डाॅ संजय पासवान के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पद अब भाजपा को मिलना चाहिए. गठबंधन धर्म का पालन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब राष्ट्रीय राजनीति में अपना कदम बढ़ाना चाहिए.
गांधी जयंती से सूबे में कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियां होंगी तेज
पटना : लोकसभा चुनाव के तीन महीने बाद प्रदेश कांग्रेस में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. पार्टी दो अक्तूबर (गांधी जयंती) से प्रदेश में अपनी राजनीतिक गतिविधियां तेज करेगी. इस दिन से पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत होगी. पार्टी की प्राथमिकता है कि पहले वह अपने संगठन को सशक्त बनाये.
पार्टी प्रदेश में लीड रोड में आने की तैयारी कर रही है. सोमवार को बिहार के प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल दो दिनों तक पार्टी नेताओं से आगे की रणनीति पर चर्चा कर दिल्ली लौट गये. सोमवार को हुई बैठक में विधानसभा उपचुनाव को लेकर भी राय विमर्श किया गया. पार्टी किशनगंज के अलावा नाथनगर की सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है.
गोहिल ने बताया कि दो दिनों तक उन्होंने राज्य की राजनीतिक गतिविधियों पर पार्टी नेताओं से बातचीत की. इसमें यह तय किया गया कि पहले संगठन को सशक्त बनाया जाये. इधर, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह का मानना है कि दो दिनों की प्रभारी के साथ बैठक सकारात्मक रही है. तीन माह से पार्टी की शिथिल पड़ी गतिविधियों को तेज करने पर विचार किया गया.
यह तय हुआ है कि गांधी जयंती समारोह से पार्टी के कई कार्यक्रम शुरू किये जायेंगे. दो अक्तूबर को बापू की 150वीं जयंती है. ऐसे में पार्टी प्रखंड, जिला और प्रदेश स्तर पर अपनी शक्ति को सहेजने की कोशिश में जुट जायेगी. उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव को लेकर अभी किसी भी दल से किसी तरह की बातचीत को लेकर चर्चा नहीं हुई है. पार्टी की प्राथमिकता है कि संगठन को सशक्त बने.
इसके लिए कार्यक्रम तैयार किये जायेंगे. सदाकत आश्रम में हुई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा, प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा, डाॅ अशोक कुमार, राजेश कुमार, प्रेमचंद्र मिश्र, संजय तिवारी, अमित कुमार टुना, विजय शंकर दूबे, कृपानाथ पाठक, डाॅ ज्योति, डाॅ समीर कुमार सिंह, चंदन यादव, कौकब कादरी, एचके वर्मा सहित अन्य नेता मौजूद थे.
गोहिल से मिले उपेंद्र कुशवाहा
पटना : रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा सोमवार को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल से मिलने सदाकत आश्रम पहुंचे. सदाकत आश्रम में वह 45 मिनट तक रुके. बताया जा रहा है कि उन्होंने गोहिल से बंद कमरे में बातचीत की. यह माना जा रहा है कि रालोसपा प्रमुख ने राज्य में विधानसभा उपचुनाव को लेकर चर्चा की.
पार्टी के पास एक भी सांसद और विधायक नहीं हैं. ऐसी स्थिति में रालोसपा राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को बेताब है. विधानसभा की पांच सीटें और एक लोकसभा की सीट रिक्त हुई है. इसमें महागठबंधन के घटक दलों को सीट मिलने की संभावना कम है. यह माना जा रहा है कि इसी संभावना की तलाश करने कुशवाहा पहुंचे थे. सदाकत आश्रम पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा से जब राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री कैंडिडेट को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि हर पार्टी में मुख्यमंत्री के कैंडिडेट हैं.
भाजपा जानती है नीतीश कुमार का कद : संजय
भाजपा विधान पार्षद संजय पासवान के बयान पर पलटवार करते हुए जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कद जानती है. संजय पासवान को अपना ज्ञान अपने पास ही रखना चाहिए. संजय पासवान का यह ज्ञान 2015 में कहां था? आपने बिल्कुल सही कहा है कि बिहार में नरेंद्र मोदी मॉडल चलेगा, बेशक चलेगा. लेकिन, एक बार यह तो विचार कर लीजिए कि 2015 में क्या हुआ था? सिंह ने कहा कि 2015 में कोई कोर कसर छोड़ी गयी थी क्या, लेकिन नतीजा क्या हुआ? बिहार की जनता ने अपने लोकप्रिय नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में आस्था जतायी थी.
हर उपक्रम के बावजूद सामने कोई टिक नहीं सका. उन्होंने पूछा कि तब आप कहां थे? सिंह ने कहा कि सरकार का मॉडल जनता तय करती है, नेता नहीं. नेता तो केवल नेतृत्व करता है, जनता का समर्थन उसे मिलता है. उन्होंने कहा कि डॉ संजय पासवान खुद कितने घाट का पानी पीकर भाजपा में पहुंचे हैं, यह सबको मालूम है. वह बेवजह बिना फीस के वकील बन रहे हैं.
आपसे किसी ने यह सलाह मांगी क्या कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कहां की सियासत करनी चाहिए? डॉ पासवान जी, बिना मांगे सलाह देने वाले ज्ञानी को क्या कहा जाता है, यह मालूम है न आपको? बरसाती मेढ़क का हाल माॅनसून के बाद कोई नहीं लेता. आप बिन मांगी सलाह अपने पास रखिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अहमियत आपकी पार्टी अच्छे से समझती है.