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इलेक्‍ट्रॉनिक्स में स्नातक व पीजी वाले नहीं बन पायेंगे शिक्षक

पटना : अब इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी की डिग्री वाले हाइस्कूल में गणित के शिक्षक और इलेक्ट्रॉनिक्स में एमएससी की डिग्री वाले उच्च माध्यमिक स्कूल (10+2) में भौतिकी के शिक्षक नहीं बन पायेंगे. वहीं, बायो टेक्नोलॉजी (तीन वर्षीय कोर्स) में स्नातक विद्यार्थियों की नियुक्ति हाइस्कूल में विज्ञान के शिक्षक पर नहीं हो सकेगी. एसटीइटी-2019 में इन […]

पटना : अब इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी की डिग्री वाले हाइस्कूल में गणित के शिक्षक और इलेक्ट्रॉनिक्स में एमएससी की डिग्री वाले उच्च माध्यमिक स्कूल (10+2) में भौतिकी के शिक्षक नहीं बन पायेंगे. वहीं, बायो टेक्नोलॉजी (तीन वर्षीय कोर्स) में स्नातक विद्यार्थियों की नियुक्ति हाइस्कूल में विज्ञान के शिक्षक पर नहीं हो सकेगी.
एसटीइटी-2019 में इन दोनों विषयों को जगह नहीं दी गयी है. 2012 में हाइस्कूलों में गणित के शिक्षक के पद पर इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी डिग्री वालों और उच्च माध्यमिक स्कूलों में भौतिकी के शिक्षक पद पर इलेक्ट्रॉनिक्स में एमएससी डिग्री वालों का नियोजन किया गया था, लेकिन इस साल की एसटीइटी में विज्ञान विषयों के रूप में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जूलॉजी और बाॅटनी को ही शामिल किया गया है.
बीएड के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी और एमएससी की डिग्री को मान्य नहीं किया गया है. इसी तरह शिक्षा विभाग ने मिडिल स्कूलों (कक्षा आठ तक) में बायो टेक्नोलाॅजी (तीन वर्षीय कोर्स) में स्नातक की डिग्री वालों को नियाेजन का मौका दिया है. लेकिन हाइस्कूल के लिए उन्हें पात्र नहीं माना गया है.
ऐसे डिग्रीधारियों का कहना है कि जब उन्हें कक्षा आठ तक में पढ़ाने का अवसर मिल सकता है तो हाइस्कूलों में क्यों नहीं दिया जा रहा. प्रत्येक वर्ष राज्य के विवि से हजारों छात्र इन दोनों विषयों से स्नातक की डिग्री हासिल करते हैं. पीड़ित छात्रों का कहना है कि केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालयों की नियुक्तियाें में इन डिग्रीधारियों को शामिल किया गया है.
पाठ्यक्रम का मिलान जरूरी : 2014 में भी बिहार राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में एलाइड कोर्स को मान्यता देने के संबंध में पाठ्यक्रमों का मिलान किया गया था. इसी बातके मद्देनजर अधिकारियों के सामने एसटीइटी से वंचित रह रहे युवकों ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों के सिलेबस का मिलान भी कराया. लेकिन बात नहीं बनी.
पटना विवि के ऐसोसिएट प्रो शंकर कुमार ने कहा कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में विषय की मान्यता के लिए सैद्धांतिक और तार्किक आधार होना चाहिए. दरअसल कोई विषय तभी मान्य किया जाना चाहिए, जब उसका सिलेबस पढ़ाई जाने वाली कक्षा की विषय सामग्री से एकरूपता रखता हो.

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