नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह की 44 लड़कियों में से आठ लड़कियों को सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनके परिवारों को सौंपने की अनुमति दे दी. न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि इन आठ लड़कियों को सभी आवश्यक वित्तीय और मेडिकल सहायता उपलब्ध करायी जाये. पीठ ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया कि इस तरह की पीड़ितों को योजना के तहत की जानेवाली क्षतिपूर्ति का आकलन करे और न्यायालय को अपनी रिपोर्ट दे.
Muzaffarpur shelter home case: SC directs Bihar govt to take steps to unite 8 out of 44 girls with their family members. The court’s order comes after ‘Koshish', a field action project of TISS, tells SC that out of 44 girls, 8 girls are fit to be handed over to their families. pic.twitter.com/sn5PzzdzKV
— ANI (@ANI) September 12, 2019
Muzaffarpur shelter home case: Supreme Court also directs Bihar government to start processing releasing of funds to the victims under Victim Compensation Scheme and take steps to provide them financial help.
— ANI (@ANI) September 12, 2019
पीठ ने टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टिस)को शेष लड़कियों के मामले में एक स्थिति रिपोर्ट तैयार करके आठ सप्ताह के भीतर न्यायालय में पेश करने का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने टिस की कार्य परियोजना ‘कोशिश’ की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद यह आदेश दिया. सीलबंद लिफाफे में पेश की गयी इस रिपोर्ट में कहा गया था कि आठ लड़कियों को उनके परिवारों को सौंपा जा सकता है. ये लड़कियां पूरी तरह फिट हैं. मुजफ्फरपुर में गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस आश्रय गृह में अनेक लड़कियों का कथित रूप से यौन शोषण हुआ था और टिस की एक रिपोर्ट के बाद इस आश्रय गृह में रहनेवाली लड़कियों के यौन शोषण की गतिविधयां सामने आयी थीं.