पटना : सुविधा बढ़ायी नहीं, पर बढ़ा रहे सख्ती यात्रियों को लंबे इंतजार का सता रहा भय

पटना : नये मोटरवाहन कानून को लागू करने के लिए रविवार से फिर से विशेष अभियान शुरू हो रहा है. इस दौरान जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के द्वारा नगर सेवा की ओवरलोडेड बसों, ऑटो और इ-रिक्शा पर सख्त कार्रवाई की बात कही गयी है. शहर के लोगों में इसकी खुशी है कि सड़क सुरक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2019 9:42 AM
पटना : नये मोटरवाहन कानून को लागू करने के लिए रविवार से फिर से विशेष अभियान शुरू हो रहा है. इस दौरान जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के द्वारा नगर सेवा की ओवरलोडेड बसों, ऑटो और इ-रिक्शा पर सख्त कार्रवाई की बात कही गयी है. शहर के लोगों में इसकी खुशी है कि सड़क सुरक्षा के नियमों की धज्जियां उड़ाकर की जा रही ओवरलोडिंग अब रुकेगी. लेकिन बिना पब्लिक ट्रांसपोर्ट का विस्तार किये यह सख्ती शुरू की जा रही है. इससे हर दिन उनका इस्तेमाल कर कार्यस्थलों तक आने जाने वाले लोगों को यह भय भी सता रहा है कि बस, आॅटो और इ-रिक्शा में जगह ढूंढ़ने के लिए उन्हें लंबा इंतजार न करना पड़े.
जरूरत से कम हैं सिटी बसें : पटना में सिटी बसों की संख्या 475 है. इनमें 110 बीएसआरटीसी की नगर सेवा और 365 प्राइवेट सिटीराइड बसें हैं. ओवरलोडिंग के मामले में दोनों की स्थिति बहुत खराब है.
उनमें जितने लोग सीट पर बैठे रहते हैं उससे अधिक पासिंग कॉरिडोर में खड़े रहते हैं और गेट पर भी कुछ लोग लटके दिखते हैं . डीएम और ट्रैफिक एसपी ने गेट पर यात्रियों के लटकने पर सख्त रोक लगाते हुए बस चालकों को निर्देश दिया है कि स्टॉपेज से बसों के रवाना होते साथ बसों के गेट बंद कर दिये जाएं, जिन्हें अगले स्टॉपेज पर ही खोला जाये.
ऑटो में खाली सीट के लिए करना पड़ेगा इंतजार : ऑटो व इ-रिक्शा में भी ओवरलोडिंग की वही स्थिति है. र्थी सीटर ऑटो में तीन यात्री सीट पर और दो या तीन यात्री ड्राइविंग सीट पर नजर आते हैं. इ-रिक्शा का भी वही हाल है. ऐसे में ओवरलोडिंग रुकने से इन यात्रियों को ऑटो में खाली सीट मिलने के लिए देर तक इंतजार करना पर सकता है.
फेरे बढ़ने से खत्म हो सकती है समस्या
प्रभात खबर से बातचीत में कुछ लोगों ने यह भी उम्मीद जतायी कि ओवरलोडिंग रुकने से बस, ऑटो व इ-रिक्शा के फेरे बढ़ जायेेंगे क्योंंकि अधिक पैसेंजर बिठाने के लिए ही ये बीच बीच में वे वाहन रोकते रहते हैं जिससे उनकी औसत गति बहुत कम हो जाती है. फेरों की संख्या बढ़ने से यात्रियों को ये पहले की तरह ही बिना लंबा इंतजार के उपलब्ध होंगे.

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