पटना : जीपीएस लगे वाहनों से चल रहे सिपाहियों को साइकिल भत्ता

अनुज शर्मा पटना : पुलिसकर्मी जीपीएस लगे वाहनों से ड्यूटी दे रहे हैं. अपराधी भी हाइटेक हो गये हैं लेकिन पुलिस है कि अभी भी साइकिल से उतरने का नाम नहीं ले रही है. सिपाही से लेकर हवलदार तक को प्रतिमाह 200 रुपये साइकिल भत्ता मिल रहा है. पुलिस रिकाॅर्ड में गश्ती साइकिल से दर्शायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2019 8:22 AM
अनुज शर्मा
पटना : पुलिसकर्मी जीपीएस लगे वाहनों से ड्यूटी दे रहे हैं. अपराधी भी हाइटेक हो गये हैं लेकिन पुलिस है कि अभी भी साइकिल से उतरने का नाम नहीं ले रही है.
सिपाही से लेकर हवलदार तक को प्रतिमाह 200 रुपये साइकिल भत्ता मिल रहा है. पुलिस रिकाॅर्ड में गश्ती साइकिल से दर्शायी जा रही है. इस विरोधाभास का आभास तो सभी को है, लेकिन पहल पर सभी मौन हैं. 2017 से पहले यह साइकिल भत्ता 30 रुपये प्रतिमाह था. जमादार से इंस्पेक्टर तक के पुलिसकर्मियों को ढाई हजार रुपये वाहन भत्ता मिलता है, लेकिन इसके एवज में सिटी अलाउंस बंद कराना पड़ता है. एसएसपी व समादेष्टा ने अपने-अपने नियम बना रखे हैं.
किसी जिले में उसी को वाहन भत्ता मिलता है, जो थाने में तैनात है. किसी जिले में उन दारोगा-इंस्पेक्टर को वाहन भत्ता नहीं दिया जाता, जिनके नाम ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी नहीं है. अंधेरा गश्त में बाधक नहीं बने, अपराधी को देखा जा सके, इसके लिए टॉर्च दी जाती थी, वह अब नहीं मिल रही है.
सशस्त्र बल बिहार में जिसकी पहचान लाल टोपी से होती है, उसके सिपाही को राइफल भत्ता 60 मिल रहा था, जिसे अब 100 रु. कर दिया गया है. कमांडो भत्ता बंद कर दिया गया है. 1984-85 ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस 96 हजार की पॉलिसी थी. वर्तमान में 30 हजार की योजना है. प्रतिमाह 40 रुपये प्रीमियम देना होता है.
डीजल कागज भी नहीं मिलता
थाना की जीप को प्रतिमाह 110 लीटर डीजल मिलता है. इसमें रोजाना सुबह, शाम और रात्रि की तीन गश्ती करनी होती हैं. वीआइपी व वारदात पर मूवेंट व दबिश भी इसी 110 लीटर में करनी होती है. करीब बीस साल से डीजल कोटा नहीं बढ़ा है.
हमने सरकार से मांग की है कि वह वर्तमान वर्तमान दौर एवं समय को ध्यान में रखकर पुलिस कर्मियों को भत्ते दिये जाएं. साइकिल की जगह मोटरसाइकिल और मोबाइल भत्ता दिया जाना चाहिए.
नरेंद्र कुमार धीरज, अध्यक्ष बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन
अप्रासंगिक अलाउंएस बंद कर आने वाले समय को ध्यान में रखकर भत्ता मिलना चाहिए. मोबाइल, मेडिकल, वाहन व उसका मेंटेनेंस व सिटी अलाउंएस हर हाल में मिलना चाहिए.
मृत्युंजय कुमार सिंह , अध्यक्ष
बिहार पुलिस एसोसिएशन

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