पटना : किताबें-कपड़े हॉस्टल में बंद, कैसे पढ़ें छात्र
पटना : लालबाग मोहल्ले के लोगों और पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच बवाल के बाद पीयू के आठ हॉस्टल पिछले एक सप्ताह से बंद हैं. हॉस्टल सील होने से छात्र परेशान हैं. स्टूडेंट्स के सभी सामान हॉस्टल में ही बंद हैं. कॉलेज खुले हैं, लेकिन स्टूडेंट्स क्लास नहीं कर पा रहे हैं. परेशान स्टूडेंट्स […]
पटना : लालबाग मोहल्ले के लोगों और पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच बवाल के बाद पीयू के आठ हॉस्टल पिछले एक सप्ताह से बंद हैं. हॉस्टल सील होने से छात्र परेशान हैं. स्टूडेंट्स के सभी सामान हॉस्टल में ही बंद हैं. कॉलेज खुले हैं, लेकिन स्टूडेंट्स क्लास नहीं कर पा रहे हैं. परेशान स्टूडेंट्स कॉलेज और यूनिवर्सिटी का चक्कर लगा रहे हैं. स्टूडेंट्स का कहना है कि हॉस्टल अचानक से सील होने के बाद किताबें कमरों में बंद हैं. क्लास चल रहे हैं, लेकिन पढ़ाई नहीं हो पा रही है.
स्टूडेंट्स का कहना अटेंडेंस कम हो जायेगा. पढ़ने के लिए कॉपी तक नहीं है. पहनने के लिए कपड़े भी हॉस्टल में बंद हैं. कैवेंडिस हॉस्टल के छात्रों ने कहा कि चार दिन के लिए ही हॉस्टल बंद करने का आदेश था. सभी स्टूडेंट्स को घर भेज दिया गया था, लेकिन जब वापस आया, तो कोई कमरा नहीं खुला. प्राचार्य कोई रिस्पॉन्स नहीं ले रहे हैं. काफी संख्या में छात्र परेशान हैं.
हॉस्टल सुपरिंटेंडेंट नहीं दे रहे हॉस्टल आवंटन की जानकारी : 18 सितंबर को जिला प्रशासन और पुलिस ने पटना सायंस कॉलेज के फैराडे, कैवेंडिस और न्यूटन छात्रावास को भी सील किया था. वहीं, पटना कॉलेज के जैक्सन, मिंटो, न्यू हॉस्टल, इकबाल और नदवी हॉस्टल को भी सील किया गया था. न्यूटन और न्यू हॉस्टल को छोड़ कर अधिकांश में 100 सीटें है.
न्यूटन में 80 और न्यू में 88 सीटें है. सभी स्टूडेंट परेशान हैं. प्रॉक्टर डॉ रजनीश कुमार ने कहा कि कैवेंडिस में 92 और फैराडे में 56 स्टूडेंट्स रह रहे थे. सभी हॉस्टलों से रूम आवंटन की सूची मांगी गयी है. पर बार-बार रिमाइंडर के बाद भी जानकारी नहीं दी जा रही है. हॉस्टल के अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं. कॉलेज को भी इससंबंध में पत्र लिख कर हॉस्टल आवंटन की जानकारी मांगी गयी थी.
प्राचार्य दिला सकते हैं किताबें
प्रॉक्टर डॉ रजनीश कुमार ने कहा कि सायंस कॉलेज के प्राचार्य ने खुद हॉस्टल सील करवाया है. स्टूडेंट्स को परेशानी हो रही है, तो उनकी परेशानी दूर की जा सकती है. प्राचार्य खुद सामने रह कर छात्रों को किताबें और कपड़े निकालने दें. इसके बाद पुन: सील कर दिया जाये.