स्टडी टूर के नाम पर अपने परिवार के साथ सैर-सपाटा कर रहे पार्षद, दूसरे निगमों से क्या सीखकर लौटे, यह बताना भी भूल गये

प्रभात रंजन, पटना : नगर निगम की अपनी सालाना आमदनी 100-125 करोड़ है. लेकिन, निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन व पेंशन मद में 150 करोड़ से अधिक राशि खर्च होती है. स्थिति यह है कि आर्थिक संकट से जूझ रहा निगम अपनी जरूरत अनुदान राशि से पूरी करता है. लेकिन निगम के कुल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2019 5:36 AM

प्रभात रंजन, पटना : नगर निगम की अपनी सालाना आमदनी 100-125 करोड़ है. लेकिन, निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन व पेंशन मद में 150 करोड़ से अधिक राशि खर्च होती है. स्थिति यह है कि आर्थिक संकट से जूझ रहा निगम अपनी जरूरत अनुदान राशि से पूरी करता है. लेकिन निगम के कुल 75 पार्षदों के शैक्षणिक भ्रमण पर इस वर्ष 37.5 लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है, यानी एक पार्षद के भ्रमण पर 50 हजार रुपये.

इस प्रावधान के अनुरूप चार टीमों में करीब 55 पार्षदों के साथ निगम के चार अधिकारी भी शैक्षणिक भ्रमण कर लौट आये हैं. लेकिन, अब तक पार्षदों की एक भी टीम ने अपनी रिपोर्ट और अनुशंसा मेयर को उपलब्ध नहीं करायी है. हालांकि, पार्षदों के साथ गये अधिकारियों ने तत्कालीन नगर आयुक्त को रिपोर्ट उपलब्ध करा दी थी. लेकिन, उन पर अब तक विमर्श नहीं किया गया है.
शैक्षणिक भ्रमण का शहर को नहीं मिला लाभ : वर्ष 2017 में उप नगर आयुक्त (सफाई) और इंजीनियरों की टीम इंदौर नगर निगम की ठोस कचरा प्रबंधन व्यवस्था देखने गयी. उन्होंने इंदौर में रात्रि कचरा उठाव, रात में सड़कों की पानी से सफाई, कचरा रिसाइकलिंग प्लांट आदि को देखा. इसके साथ ही वर्ष 2018 में तत्कालीन डिप्टी मेयर और एक पार्षद की टीम पुणे नगर निगम का ठोस कचरा प्रबंधन देखने गयी.
तत्कालीन डिप्टी मेयर ने स्थायी समिति व निगम बोर्ड की बैठक में पुणे नगर निगम के अच्छे कार्यों की जानकारी दी. इसके बाद कुछ इलाकों में रात्रि कचरा उठाव व सड़कों की पानी से सफाई का काम शुरू भी किया गया.
लेकिन, दो साल बाद भी रात में सड़कों की सफाई सीमित क्षेत्र में ही सिमटी हुई है. व्यापक स्तर पर शहरवासियों को कोई लाभ नहीं मिल सका है.मालूम हो कि पिछले तीन सालों में शैक्षणिक भ्रमण 31 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. अभी चालू वित्तीय वर्ष में इस फंड में 10 लाख रुपये बचे हैं, जिसमें 20 पार्षदों को भ्रमण करना है.
75 पार्षदों में से अब तक करीब 55 पार्षद कर चुके हैं शैक्षणिक भ्रमण
31 लाख रुपये हो चुके हैं खर्च पिछले तीन वर्षों में
भ्रमण पर सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद और मैसूर गये थे 55 पार्षद
नगर निगम के 75 पार्षदों में से करीब 55 पार्षद व अधिकारी सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद और मैसूर नगर निगम से शैक्षणिक भ्रमण कर लौट आये हैं. भ्रमण के दौरान महिला पार्षद अपने पति, पुत्र व पुत्री और पुरुष पार्षद भी अपनी पत्नी को साथ लेकर गये. भ्रमण करने वाले पार्षदों ने संबंधित नगर निगम के ठोस कचरा प्रबंधन, कचरा रिसाइकलिंग प्लांट, योजनाओं के क्रियान्वयन, योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारियों व पार्षदों की भूमिका आदि देखी.
इसके साथ ही शहर का भ्रमण कर स्थल निरीक्षण भी किया, ताकि संबंधित नगर निगम के अच्छे कार्यों को पटना नगर निगम में क्रियान्वित कर विकसित शहर बनाया जा सके. भ्रमण करने वाले पार्षद शैक्षणिक भ्रमण के नाम पर मस्ती कर लौट आये हैं. लेकिन, विकसित पटना नगर निगम बनाने को लेकर विमर्श नहीं किया जा सका है.
शैक्षणिक भ्रमण से लौटे पार्षदों से लिखित अनुशंसा नहीं मिली है. लेकिन, मौखिक स्तर पर विमर्श किया गया है. इसके साथ स्मार्ट रोड, सीवरेज-ड्रेनेज नेटवर्क, रिसाइकलिंग प्लांट, एसएचजी बनाने को लेकर कार्ययोजना तैयार की गयी है. लेकिन, इन योजनाओं पर व्यापक स्तर पर काम शुरू नहीं किया जा सका है. शैक्षणिक भ्रमण से आने वाले दिनों में शहर को जरूर लाभ मिलेगा.
-सीता साहू, मेयर
पूर्व में एक-दो पार्षद शैक्षणिक भ्रमण पर जाते थे. लेकिन, इस वर्ष बड़े पैमाने पर पार्षदों को शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा गया है. महापौर को चाहिए कि विशेष बैठक आयोजित करें, जिसमें पार्षद अपना-अपना प्रेजेंटेशन दें और क्रियान्वयन कराने को लेकर रूपरेखा तैयार की जाये. लेकिन, अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है.
-विनय कुमार पप्पू, पूर्व डिप्टी मेयर
मेरी टीम हैदराबाद गयी थी, जहां ठोस कचरा प्रबंधन और एसएचजी के अच्छे कार्य को देखा गया. इसको लेकर मेरे साथ गये अधिकारी ने नगर आयुक्त को रिपोर्ट दे दी. लेकिन, शैक्षणिक भ्रमण रिपोर्ट पर विमर्श नहीं किया जा सका है.
-डॉ आशीष कुमार सिन्हा, पार्षद

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