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#GandhiAt150: आज देश को गांधी की जरूरत पहले से ज्यादा

आज गांधी जयंती है, देश अपने राष्ट्रपिता को याद करेगा. यह दिन इसलिए भी खास है कि आज गांधीजी की 150वीं जयंती है. ऐसे में ये सवाल बार – बार उठते हैं कि क्या हमने गांधीजी को भुला दिया? क्या हम उनके आदर्शों और विचारों से दूर चले गये? कहीं ऐसा तो नहीं कि हमने […]

आज गांधी जयंती है, देश अपने राष्ट्रपिता को याद करेगा. यह दिन इसलिए भी खास है कि आज गांधीजी की 150वीं जयंती है. ऐसे में ये सवाल बार – बार उठते हैं कि क्या हमने गांधीजी को भुला दिया? क्या हम उनके आदर्शों और विचारों से दूर चले गये? कहीं ऐसा तो नहीं कि हमने उन्हें सिर्फ प्रतीकों में कैद कर दिया है और उनके विचारों से दूरी बना ली है? आज गांधी होते तो देश के सवालों पर क्या करते? इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने पटना के 9 ऐसे लोगों को प्रभात खबर कार्यालय में आमंत्रित किया जो शहर और समाज की नब्ज की गहरी समझ रखते हैं. अलग – अलग क्षेत्र के इन लोगों में से ज्यादातर ने गांधीजी पर अच्छा – खासा काम किया है. समाज सेवा, शिक्षा, बिजनेस, कला आदि के क्षेत्र में शहर में पहचाने जाते हैं. मौजूदा दौर में गांधी की प्रासांगिकता और आज गांधी होते तो क्या करते जैसे सवाल इनसे हमने किये. पेश हैं इनके विचार.

अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल जैसे अहिंसात्मक हथियार हमें गांधी ने ही दिये हैं. मजदूरों की यूनियन समेत विभिन्न संस्थाओं और आम लोगों ने भी इनके जरिये गांधी के विचारों को बचाकर रखा है. ये आज भी जीवित हैं. हाल के वर्षों में नयी चीज देखने को मिल रही है कि सत्ता में बैठे लोग अहिंसात्मक तरीके से जताये जा रहे विरोध को गंभीरता से नहीं ले रहे. लेकिन हम आज भी संकल्प लेते हैं कि गांधी जी के बताये रास्ते पर चलेंगे. आज अगर गांधी होते तो भारत सरकार की ओर से लाये गये परिवहन कानून का सबसे पहले विरोध करते, इतना ही नहीं गांधी हाेते तो इस नये कानून के खिलाफ धरने पर बैठे होते.
-राजकुमार झा, महासचिव, ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कस फेडरेशन बिहार
गांधी के बारे में कहा जाता है कि कला के प्रति उनका ज्यादा रुझान नहीं था, यह गलत जानकारी है. गांधीजी के आंदोलनों पर ध्यान देंगे तो आप पायेंगे कि उनके साथ, चित्रकार, साहित्यकार, संगीतकार बड़ी संख्या में थे. कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में बिहार के कलाकारों की बनायी 42 पेंटिंग लगायी गयी थी. आम जन के बीच संचार के साधन उस समय कम थे इसलिए गांधीजी कला से जुड़े कार्यों के जरिये भी अपने संदेश पहुंचाते थे. दूसरी ओर भारत के लगभग सभी बड़े कलाकारों ने गांधी और उनके विचारों को दर्शाती पेंटिंग बनायी है. हिंसा से भरे मौजूदा वैश्विक परिवेश में गांधी की आवश्यकता पहले से ज्यादा हो गयी है. गांधीजी के विचारों पर चलकर ही सपनों के भारत का निर्माण हो सकता है.
-मनोज बच्चन, वरिष्ठ चित्रकार
मुझे लगता है कि आज देश गांधी को याद तो कर रहा है लेकिन जी नहीं रहा. हमने गांधी को प्रतीकों में कैद कर दिया है, उनके विचारों को छोड़ दिया है. मौजूदा समय को देख कर ऐसा लग रहा है कि शायद देश को गांधी की जरूरत नहीं है. लेकिन हमें 21वीं सदी का गांधी चाहिए क्योंकि गांधी के समय के कई सवाल आज भी हमारे सामने खड़े हैं. पर्यावरण की चिंता गांधी को भी थी और आज हमें क्लाइमेट जस्टिस चाहिए. गांधी को हमने कैसे भुलाया है इसका एक उदाहरण चंपारण में 1917 में गांधी के द्वारा खोले गये बुनियादी विद्यालय हैं जहां आज दसवीं तक पढ़ाई होती है वहां आज सिर्फ चार शिक्षक और एक प्रभारी हेड मास्टर हैं.
-गालिब, शिक्षाविद्ध
गांधी के विचार कभी मरेंगे नहीं, गांधी के विचार हर दौर में प्रासांगिक बने रहेंगे. युवा पीढ़ी को उनसे जोड़ने की जरूरत है. युवाओं को गांधी के बारे में बताना चाहिए. पिछले एक वर्ष में अच्छी बात यह हुई है कि विभिन्न स्कूलों में गांधीजी से जुड़े काफी कार्यक्रम हुए हैं. इससे बच्चों के बीच गांधी के विचारों को फैलाने में मदद मिलेगी. अभी जैसे उनकी याद में कार्यक्रम हुए वैसे ही वर्ष भर होते रहने चाहिए क्योंकि युवा पीढ़ी उनसे दूर हो रही है.
-वीरेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ चित्रकार
गांधीजी आज अगर हमारे बीच आये तो देश और समाज की स्थिति देख निश्चित रूप से दुखी होंगे. आज जिस तरह से बड़ी – बड़ी इमारतें बन रही हैं और जंगल काटे जा रहे हैं, सड़कों पर प्रदूषण और शोर बढ़ता जा रहा है. हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. यह सब देख गांधी दुखी होते. पहले खादी पहनना सम्मान की बात थी, अब खादी पहनने पर लोग राजनेता समझने लगते हैं. समाज में लगातार दिखावे की संस्कृति बढ़ती जा रही है जो कि चिंता की बात है.
-सुधीर गुप्ता, व्यवसायी
सत्ताधारी लोग गांधी को अपनी सुविधा के मुताबिक याद कर रहे हैं. गांधी को प्रतीकों में कैद करने की कोशिश की की जा रही है. अंग्रेजों ने सबसे पहले हिंदू – मुस्लिम के नाम पर दो राष्ट्रों का सिद्धांत दिया था. गांधी ने इस सिद्धांत को चैलेंज किया और हिंदू- मुस्लिम एकता कायम कर साबित कर दिया था कि दोनों एक ही राष्ट्र हैं. लेकिन दुख की बात है कि अंग्रेजों को यह दो राष्ट्रों का सिद्धांत आज एक बार फिर से आ चुका है. उन्हें याद करने का मतलब हिंदू – मुस्लिम एकता है. गांधी किसानों के हितैषी थे लेकिन इसी देश की सरकारों ने किसानों को बर्बाद करने का काम किया है. गांधी ने कहा था कि यह धरती सभी मनुष्यों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है लेकिन व्यक्ति के लालच को यह पूरा नहीं कर सकती.
-अनीश अंकुर, सामाजिक कार्यकर्ता
गांधीजी गुजरात के एक बेहद संपन्न परिवार से आते थे. उनके पिता दीवान थे, इसके बावजूद उन्होंने जीवन सादगी के साथ बिताया. वह हमेशा सत्ता से सवाल करते थे. अफ्रीका में भी वह ताकतवर अंग्रेज सत्ता से टकराते हुए सवाल पूछते हैं. अंग्रेजों के जुल्म व सितम के खिलाफ जिंदगी भी आवाज उठाते रहे. ऐसे में यह देख कर दुख होता है कि जिस देश के राष्ट्रपिता गांधी हो उस देश में सवाल उठाने वालों पर सत्ता का दमन चक्र चलता है. मौजूदा हाल ये है कि भारत को पुलिसिया स्टेट बनाने की कोशिश हो रही है. गांधी सिर्फ राजनीति नहीं करते थे वे समाज की मूलभूत समस्याओं को भी दूर करने में लगे हुए थे.
-विनीत कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता
गांधी कहते थे कि दुनिया को बदलना चाहते हो तो पहले खुद को बदलो. मौजूदा दौर में गांधी की जरूरत युवाओं को पहले से कहीं ज्यादा है. गांधी को समझना अपनी जड़ों को समझना है. गांधी से पहले की कांग्रेस इलिट वर्ग की कांग्रेस थी. गांधी ने कांग्रेस को आमजन से जोड़ा. इन बदलावों को आज भी राजनीति से जोड़ने की जरूरत है.आज अगर गांधी होते तो दंगों के समय लोगों की जान बचाने के लिए सबसे पहले आगे आते. गांधी पर हम सिर्फ चर्चा नहीं करे बल्कि उनके विचारों को अपने जीवन में उतारे.
-भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता
गांधी की ईजाद भेदभाव के खिलाफ प्रतिरोध से हुई है. आज भी राजनेता जनता के बीच हिंदू- मुस्लिम, स्त्री – पुरुष, अमीर- गरीब के नाम पर भेदभाव फैला रहे हैं. गांधी हमेशा सत्ता से टकराते रहें. लेकिन आज अगर कोई सत्ता से टकराता है तो उसके पीछे, इडी, सीबीआइ जैसी एजेंसियों को लगा दिया जाता है. लड़कियों के साथ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, देश भर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही है. गांधी ने पंचायतों को मजबूत करने की बात कही थी लेकिन आज पंचायती व्यवस्था में भ्रष्टाचार काफी बढ़ गये हैं. यह तो गांधी के सपनों का भारत नहीं है.
-संध्या सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता
मुझे लगता है कि आज देश गांधी को याद तो कर रहा है लेकिन जी नहीं रहा. हमने गांधी को प्रतीकों में कैद कर दिया है, उनके विचारों को छोड़ दिया है. मौजूदा समय को देख कर ऐसा लग रहा है कि शायद देश को गांधी की जरूरत नहीं है. लेकिन हमें 21वीं सदी का गांधी चाहिए क्योंकि गांधी के समय के कई सवाल आज भी हमारे सामने खड़े हैं. पर्यावरण की चिंता गांधी को भी थी और आज हमें क्लाइमेट जस्टिस चाहिए. गांधी को हमने कैसे भुलाया है इसका एक उदाहरण चंपारण में 1917 में गांधी के द्वारा खोले गये बुनियादी विद्यालय हैं जहां आज दसवीं तक पढ़ाई होती है वहां आज सिर्फ चार शिक्षक और एक प्रभारी हेड मास्टर हैं.
-गालिब, शिक्षाविद्ध

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