जलजमाव में फंसी तीन जिंदगियों की कहानियां, जो आपको कर देंगी परेशान
रविशंकर उपाध्याय, पटना : मालती देवी की उम्र 70 साल से ज्यादा है. राजेंद्र नगर के पुल के ठीक नीचे एक मकान में रह रही मालती देवी के लिए पिछले पांच दिन इतनी मुश्किलों भरे गुजरे हैं कि उनकी आंख का पानी सूख गया है. भूख से हालत खराब है. तीन दिन ठेले पर सोकर […]
रविशंकर उपाध्याय, पटना : मालती देवी की उम्र 70 साल से ज्यादा है. राजेंद्र नगर के पुल के ठीक नीचे एक मकान में रह रही मालती देवी के लिए पिछले पांच दिन इतनी मुश्किलों भरे गुजरे हैं कि उनकी आंख का पानी सूख गया है. भूख से हालत खराब है. तीन दिन ठेले पर सोकर गुजरे हैं. वह भी सड़े हुए पानी के बीच और मच्छरों से जूझते हुए.
वह बड़े पेड़ों के नीचे थीं, जिससे किसी की नजर उन तक नहीं जा सकी. इसी बीच गुरुवार को एनडीआरएफ के जवानों ने उन्हें बचाया. मालती देवी ने प्रभात खबर को बताया कि उनके तीन बेटे हैं, लेकिन तीनों में से कोई भी उसकी देखभाल नहीं करता. तीनों ने बेसहारा छोड़ दिया.
बीच मकान मालिक भी घर छोड़कर चले गये. उसके बाद इनकी तबीयत खराब हो गयी, पानी आने के बाद वह एक ठेले पर बैठ गयीं, जिससे कि भींग नहीं जायें. जब तक देह हाथ चलता रहा, कुछ कुछ खाकर जीवित रहीं. इसके बाद हालत खराब हो गयी तो उसी ठेले पर सो गयी. जीवन का भरोसा नहीं था. इसके बाद अंतत: एनडीआरएफ की टीम पहुंची और इन्हें बचाकर अस्पताल में भर्ती कराया.
डायरिया से पीड़ित थीं, अस्पताल में रहने की जगह नहीं, डॉक्टर भी छोड़कर चले गये
श्रीराम अस्पताल के आइसीयू में दस दिनों से भर्ती लक्ष्मी देवी की कहानी भी दर्द भरी है. इनका घर भी राजेंद्र नगर के रोड नंबर सात में है. डायरिया होने के बाद बेटे तापस कुमार ने इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया. तीन-चार दिनों में तबीयत में सुधार हो रहा था ही कि बारिश आ गयी. पहले दिन ही इतनी बारिश हुई कि पूरा इलाका भर गया. जलजमाव में भारी परेशानी खड़ी हो गयी.
अब वह घर भी नहीं जा सकती थीं और इधर अस्पताल में भी नहीं रहने की स्थिति थी. अस्पताल में तो यह हाल था कि डॉक्टर भी नहीं आ रहे थे. गुरुवार को वह राजेंद्र नगर से निकल सकीं. उन्होंने कहा कि रेस्क्यू टीम पहुंच रही थी और सामान मिल रहा था लेकिन इसका फ्लो काफी कम है. इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है.
जिस घर में कई साल रहीं, सपने सजाये, मरने के बाद अपने घर का आंगन भी नसीब नहीं हुआ
अनुपम, पटना : बाजार समिति में रहने वाले दवा व्यवसायी मनीष अग्रवाल की माता निर्मलरानी अग्रवाल ने अपने जीवन का लंबा अरसा जिस मकान में बिताया, जलजमाव के कारण मरने के बाद वहां की भूमि तक नसीब नहीं हुई. मनीष ने बताया कि 68 साल उम्र के कारण उनकी मां की तबीयत पहले से ही खराब थी. तीन दिनों तक लगातार बारिश, भीषण जलजमाव व बिजली पानी की परेशानी से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी.
चारों ओर सात आठ फीट पानी होने के कारण उनको अस्पताल ले जाना भी मुश्किल था. जब स्थिति अधिक बिगड़ गयी तो सोमवार को एनडीआरएफ की मदद से उनको किसी तरह घर से बाहर निकाला गया और राजेश्वर अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां तीन दिनों तक भर्ती रहने के बाद गुरुवार की सुबह उनकी मौत हो गयी. छोटा भाई अहमदाबाद में रहता है.
वहां से उसको पटना पहुंचने में रात 11 बज जायेगा. ऐसे में अब कल ही मां का अंतिम संस्कार होगा. मरने के बाद मान्यता है कि घर के सामने की भूमि पर थोड़े देर के लिए लिटाते हैं और फिर अंत्येष्टि के लिए ले जाते हैं.
लेकिन, मां को घर की भूमि भी नसीब नहीं होगी. क्योंकि अभी भी चार-पांच फुट तक पानी होने के कारण वहां ले जाना भी संभव नहीं है. घर किसी तरह ले भी गये तो तीन मंजिला जहां हमलोग रहते हैं पर ले जाने के लिए कंधा देने वाले लोग भी नहीं मिलेंगे. क्योंकि पड़ोसी भी घर से निकलने की स्थिति में नहीं हैं.