जलजमाव से बर्बाद हुए रंगकर्मियों के सामान
पटना : शहर के कई इलाकों से पानी निकल गया, तो कहीं अब भी जलजमाव से लोग परेशान हैं. अपनी कला और संवाद के माध्यम से समाज के दर्द को दर्शाने वाले रंगकर्मियों ने भी अपने दर्द को बयां किया. शनिवार को प्रेमचंद रंगशाला में एक-एक पैसे जोड़ कर खरीदे गये वाद्य यंत्र, नाट्य पुस्तक […]
पटना : शहर के कई इलाकों से पानी निकल गया, तो कहीं अब भी जलजमाव से लोग परेशान हैं. अपनी कला और संवाद के माध्यम से समाज के दर्द को दर्शाने वाले रंगकर्मियों ने भी अपने दर्द को बयां किया. शनिवार को प्रेमचंद रंगशाला में एक-एक पैसे जोड़ कर खरीदे गये वाद्य यंत्र, नाट्य पुस्तक और नाटक से जुड़े कॉस्ट्यूम की बर्बादी को दिखाते हुए रंगकर्मियों ने अपनी पीड़ा बतायी.
अलग-अलग नाट्य संस्था के रंगकर्मी अपने बर्बाद हुए सामानों में कुछ चीजों को बचाने की कोशिश करते हुए भी दिखे. आज 9वें दिन भी प्रेमचंद रंगशाला परिसर पानी से भरा पड़ा है. रंगशाला के कर्मचारियों ने बताया कि हॉल के अंदर भी पानी चला गया था.
रंगकर्मियों का दर्द
कला जागरण अक्षरा के रंगकर्मी हीरालाल रॉय ने बताया कि हमारा करीब 20 हजार का नुुकसान हुआ है. इसमें नाटक में उपयोग किये जाने वाले हारमोनियम, ढोलक, नाट्य पुस्तकें और कॉस्ट्यूम बर्बाद हो गये हैं. एक भी सामान वापस इस्तेमाल करने लायक नहीं बचा है.
प्रेमचंद रंगालय परिसर में नाट्य पुस्तक को सुखाने की कोशिश करते हुए दिखे आशा रेपेटरी के रंगकर्मी चंदन प्रियदर्शी ने बताया कि करीब छह से आठ हजार रुपये की तो सिर्फ किताबें बर्बाद हुई हैं. वाद्य यंत्र, कॉस्ट्यूम आदि करीब 40 हजार रुपये का नुकसान हुआ है.
बिहार आर्ट थिएटर को भी हुआ नुकसान
बिहार आर्ट थिएटर के ज्वाइंट सेक्रेटरी व मैनेजर प्रदीप गांगुली ने बताया कि जलजमाव से काफी नुकसान हुआ है. छह बुकिंग कैंसिल करनी पड़ी. करीब 40 हजार रुपये का नुकसान हुआ है. हॉल में पानी भर गया था. दो दिनों तक 12-12 घंटे तक खुद मोटर लगाकर पानी निकाला गया. नगर निगम और प्रशासन की ओर किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली. 1983 में बिहार आर्ट थिएटर बना, उसके बाद यह पहली बरसात है, जिसमें इतना पानी भरा है. कहा कि कालिदास रंगालय में सामान की बर्बादी नहीं हुई है.