पटना नगर निगम का हाल: बैठक में नहीं आते थे सांसद और विधायक, 12 सालों में 120 बैठकें हुई, हर बार रहे नदारद
अनिकेत त्रिवेदीपटना : शहर में जलजमाव को लेकर त्राहिमाम मचा है. मंत्री, सांसद अौर विधायक सभी नगर निगम-बुडको को दोषी मान रहे हैं. मगर, इन एजेंसियों पर आरोप लगाने वाले स्थानीय सांसद व विधायक की गैर जिम्मेदारी भी कम नहीं है. दरअसल, नगर निगम की जिस मासिक बैठक में जल निकासी, सिवरेज ड्रेनेज निर्माण को […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर में जलजमाव को लेकर त्राहिमाम मचा है. मंत्री, सांसद अौर विधायक सभी नगर निगम-बुडको को दोषी मान रहे हैं. मगर, इन एजेंसियों पर आरोप लगाने वाले स्थानीय सांसद व विधायक की गैर जिम्मेदारी भी कम नहीं है. दरअसल, नगर निगम की जिस मासिक बैठक में जल निकासी, सिवरेज ड्रेनेज निर्माण को लेकर एजेंडा सेट होता, कार्ययोजना बनती है, उस बैठक के पदेन सदस्य होने के बावजूद बीते 12 वर्षों में हुई लगभग 120 बैठकों में कोई स्थानीय सांसद व विधायक नहीं पहुंचा, जबकि हर बार उन्हें लिखित बुलावा भेजा जाता है. ऐसे में सवाल है कि जब वे निगम की बैठकों में आते ही नहीं, तो उनको शहर के हालात की जानकारी कैसे होगी.
पटना : शहर में जलजमाव को लेकर त्राहिमाम मचा है. मंत्री, सांसद अौर विधायक सभी नगर निगम-बुडको को दोषी मान रहे हैं. मगर, इन एजेंसियों पर आरोप लगाने वाले स्थानीय सांसद व विधायक की गैर जिम्मेदारी भी कम नहीं है. दरअसल, नगर निगम की जिस मासिक बैठक में जल निकासी, सिवरेज ड्रेनेज निर्माण को लेकर एजेंडा सेट होता, कार्ययोजना बनती है, उस बैठक के पदेन सदस्य होने के बावजूद बीते 12 वर्षों में हुई लगभग 120 बैठकों में कोई स्थानीय सांसद व विधायक नहीं पहुंचा, जबकि हर बार उन्हें लिखित बुलावा भेजा जाता है. ऐसे में सवाल है कि जब वे निगम की बैठकों में आते ही नहीं, तो उनको शहर के हालात की जानकारी कैसे होगी.
वर्ष 2007 में आये थे रामकृपाल व नितिन नवीन
निगम की ओर से महीने में एक बार बोर्ड की बैठक होती है. इसके अध्यक्ष मेयर होते हैं. इसके अलावा स्थानीय विधायक व सांसद को इस बैठक में बतौर पदेन सदस्य बुलाया जाता है. बुलाने का मकसद उन माननीयों के फंड की उपयोगिता, निगम कार्यों में सुझाव से लेकर सहयोग तक होता है. वर्ष 2002 से लगातार निगम पार्षद रहने वाले व पूर्व उपमहापौर विनय पप्पू को याद ही नहीं कि आखिरी बार सांसद व विधायकों की उपस्थिति बैठक में कब हुई थी. जबकि, वर्ष 2007 में पार्षद बने सुनील कुमार बताते हैं कि आखिरी बार 2007 में रामकृपाल यादव व नितिन नवीन ने बैठक में भाग लिया था. इसके बाद कोई नहीं आया.
निगम की ओर से महीने में एक बार बोर्ड की बैठक होती है. इसके अध्यक्ष मेयर होते हैं. इसके अलावा स्थानीय विधायक व सांसद को इस बैठक में बतौर पदेन सदस्य बुलाया जाता है. बुलाने का मकसद उन माननीयों के फंड की उपयोगिता, निगम कार्यों में सुझाव से लेकर सहयोग तक होता है. वर्ष 2002 से लगातार निगम पार्षद रहने वाले व पूर्व उपमहापौर विनय पप्पू को याद ही नहीं कि आखिरी बार सांसद व विधायकों की उपस्थिति बैठक में कब हुई थी. जबकि, वर्ष 2007 में पार्षद बने सुनील कुमार बताते हैं कि आखिरी बार 2007 में रामकृपाल यादव व नितिन नवीन ने बैठक में भाग लिया था. इसके बाद कोई नहीं आया.
72 घंटे पहले दी जाती है लिखित सूचना
मेयर सीता साहू के प्रतिनिधि व उनके पुत्र शिशिर कुमार बताते हैं कि लगभग सभी बैठकों के 72 घंटे पहले रजिस्टर्ड डाक से स्थानीय सांसद व विधायक को बैठक में भाग लेने की सूचना दी जाती है. इसके अलावा बैठक समाप्त होने पर बैठक की प्रोसिडिंग भी आम सदस्यों पार्षदों की तरह उनको भेजा जाता है. लेकिन आज तक वो बैठक में भाग लेने नहीं आये और प्रोसिडिंग के बाद भी उन लोगों के तरफ से कोई सुझाव नहीं आया.
क्या कहती है नियमावली
बिहार नगरपालिका विधेयक-2007 के अध्याय सात में निगम बैठक को लेकर स्पष्ट जानकारी दी गयी है. इसके अलावा नगर निगम जो बैठक का सूचना पत्र निकलता है तो उसमें भी स्पष्ट तौर पर स्थानीय विधायक व सांसद के नाम होते हैं.
क्यों जरूरी है बैठक में भाग लेना
बैठक में शहर की साफ सफाई, शहर में ड्रेनेज-सिवरेज का निर्माण व रख-रखाव, जल निकासी से लेकर पानी की आपूर्ति तक व शहरवासियों को सीधे प्रभावित करने वाले निर्णय लिये जाते हैं. इसलिए यह बैठक काफी महत्वपूर्ण होती है.
- शहर में डेंगू ने बरपाया कहर, एक दिन में 85 नये मरीज मिले
- पुनपुन में घटा पानी, पर कई गांवों में अब भी फैला है पानी
- फतुहा में पुनपुन का रिंग बांध टूटा, बढ़ी परेशानी
- दानापुर में जलजमाव झेल रहे लोगों ने जाम की सड़क
- जलजमाव का नौवां दिन. अब भी कई इलाकों में बह रहा पानी
पूर्व नगर आयुक्त भी हैं जलजमाव के दोषी, नहीं सुनते थे हमारी : मंत्री
शहर में जल जमाव को लेकर दोषारोपण का दौर जारी है. अब नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने जल जमाव को लेकर लेकर बड़ा बयान दिया है. शनिवार को आवासीय कार्यालय में दानापुर में जल जमाव को लेकर स्थानीय सांसद रामकृपाल यादव की अगुआई में टीम के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा कि पटना नगर निगम के पूर्व आयुक्त उनकी नहीं सुनते थे. मंत्री का इशारा पूर्व आयुक्त अनुपम कुमार सुमन की ओर था.
उन्होंने कहा कि जल निकासी के बाद जांच कर इसके दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी. इसमें जो भी दोषी होंगे,उन पर गाज गिरनी तय है. उन्होंने पूर्व नगर आयुक्त अनुपम कुमार सुमन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाये. कहा कि उनके द्वारा कई ऐसे काम नगर विकास व आवास विभाग को बगैर संज्ञान में रखे किया था. हमारे निर्देश के बाद भी नहीं सुनते थे. जिसके कारण भी यह समस्या हुई है. इसको लेकर हमने सीएम से भी शिकायत की थी. वहां से उनको फटकार भी लगी था. लेकिन, उन्होंने सुधार नहीं किया और चले गये.
गया-पटना रेलखंड पर कई ट्रेनें आज भी रहेंगी रद्द
पिछले तीन दशकों में पहली बार गया-पटना रेलखंड पर लगातार तीन दिनों तक ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ है. जानकारों के मुताबिक, 1980 के बाद गया-पटना रेलखंड पर यह स्थिति बनी है. गया-पटना रेल खंड पर पुनपुन नदी में आयी बाढ़ के कारण छह अक्तूबर को भी अधिकतर ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया गया है. वहीं, कुछ मेमू ट्रेनों को गया से पुनपुन रेलवे स्टेशन के बीच चलाया जा रहा है.