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नशे के कारोबारियों के निशाने पर स्कूल व कोचिंग के छात्र

नितिश, पटना : देश के महानगरों की तर्ज पर पटना के भी स्कूली व कोचिंग के छात्रों को नशा के कारोबारियों ने अपने निशाने पर ले रखा है. ये कारोबारी इन छात्रों से पहले दोस्ती करते हैं और फिर उन्हें स्मैक या ब्राउन शूगर का नशा फ्री में कराते हैं. जब वे इसके आदी हो […]

नितिश, पटना : देश के महानगरों की तर्ज पर पटना के भी स्कूली व कोचिंग के छात्रों को नशा के कारोबारियों ने अपने निशाने पर ले रखा है. ये कारोबारी इन छात्रों से पहले दोस्ती करते हैं और फिर उन्हें स्मैक या ब्राउन शूगर का नशा फ्री में कराते हैं.

जब वे इसके आदी हो जाते है तो फिर उनसे पैसे वसूल कर नशे का सामान बेचना शुरू कर देते हैं. खास बात यह है कि इसके बाद उन छात्रों को ये नशा के कारोबारी एजेंट बना देते हैं. इसके बाद वे छात्र भी नशा के कारोबार को बढ़ाने में उनका सहयोग करने लगते हैं.
जिनके पास नशे के लिए स्मैक और ब्राउन शूगर खरीदने के पैसे नहीं होते हैं वे मोबाइल स्नेचिंग व चेन स्नेचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर देते है. नशे का प्रभाव छात्रों पर बढ़ रहा है और लगातार पटना में मोबाइल व चेन स्नेचिंग की घटनाएं भी बढ़ रही है. पटना का शायद ही कोई ऐसा थाना होगा जहां मोबाइल व चेन स्नेचिंग के दो से तीन मामले नहीं दर्ज किये जाते होंगे. हर थाने में प्रतिदिन इस तरह की शिकायतें मिल रही है.
पकड़े जाने पर होती है जानकारी
पटना पुलिस ने इन दिनों कई मोबाइल व चेन स्नेचिंग करने वाले युवकों को पकड़ा. इसमें से कुछ प्रोफेशनल थे लेकिन अस्सी फीसदी छात्र निकले. पुलिस के समक्ष इन लोगों ने भी स्वीकार किया कि उन्हें नशे की आदत है और स्मैक या ब्राउन शुगर के बिना नहीं रह सकते है.
परिजनों को शुरू में जानकारी नहीं हुई तो वे उनसे किसी न किसी काम के बहाने पैसे ऐंठते रहे. लेकिन जब परिजनों को जानकारी हो गयी तो उन्होंने पैसे देने भी छोड़ दिये. इसके बाद पैसे के लिए आपराधिक घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया.
सौ रुपये से लेकर तीन हजार तक की पुड़िया बेचते हैं गिरोह
खास बात यह है कि पकड़े गये चेन व मोबाइल स्नेचर अच्छे घरों के भी थे. एक हवलदार का बेटा भी स्मैक का इतना आदी हो गया कि पिता की मौत के बाद मिलने वाले अनुकंपा पर नौकरी की भी चिंता नहीं की और गलत धंधा करने लगा. सुबह से शाम तक वह स्मैक के नशे में ही डूबा रहता. पुलिस भी उसे बदमाशी करते हुए दो-तीन बार जेल भेज चुकी है.
लेकिन जेल से छूटने के बाद फिर से वह नशे की गिरफ्त में चला जाता है और घटनाआें को अंजाम देना शुरू कर देता है. स्मैक की पुड़िया को नशे के कारोबारी बेचते हैं और उसकी कीमत सौ रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक है. इसमें क्वालिटी के साथ ही मात्रा के आधार पर कीमत रखी जाती है.
पकड़े जा चुके हैं स्मैक व ब्राउन शूगर बेचने वाले
पत्रकार नगर पुलिस ने हाल में ही स्कूल, कोचिंग व हॉस्टल के छात्रों को स्मैक बेचने वाले गिरोह के सात सदस्यों को मलाही पकड़ी इलाके से गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही एक किलो स्मैक बरामद किया था.
मलाही पकड़ी के आसपास स्कूली व कोचिंग के छात्रों का जमावड़ा होता है और नशे के कारोबारी उन्हें ही अपना निशाना बनाते थे. पकड़े गये स्मैक विक्रेताओं में मो राशिद (पीरबहोर), मो पिंकू (सुल्तानगंज), मो मुलाजिम(सब्जीबाग), सोनू कुमार (मलाही पकड़ी), विट्टु कुमार (मलाही पकड़ी), विट्टु कुमार(मलाही पकड़ी) व विट्टु सिंह (मलाही पकड़ी) शामिल थे.
जक्कनपुर पुलिस ने हाल के दिनों में ब्राउन शूगर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था और लाखों रुपये कीमत के ब्राउन शूगर को बरामद किया था. हालांकि गिरोह की सरगना भाभी जी के नाम से चर्चित महिला को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है. इस गिरोह द्वारा भी छात्रों को नशे की आदत दिलाने के बाद तस्करी के धंधे में लगा दिया जाता था.

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