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डीपीआर तैयार : पंचायतों में 9वीं की पढ़ाई को भवन
300 करोड़ से फरवरी तक बिल्डिंग बनाने की है योजना पटना : प्रदेश की 1483 पंचायतों में कक्षा 9वीं की पढ़ाई के लिए अलग से भवन बनाये जाने हैं. इस पर प्रारंभिक तौर पर 300 करोड़ खर्च किये जायेंगे. इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनायी जा चुकी है. पंचायतों में प्लस-टू की पढ़ाई के लिए […]
300 करोड़ से फरवरी तक बिल्डिंग बनाने की है योजना
पटना : प्रदेश की 1483 पंचायतों में कक्षा 9वीं की पढ़ाई के लिए अलग से भवन बनाये जाने हैं. इस पर प्रारंभिक तौर पर 300 करोड़ खर्च किये जायेंगे. इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनायी जा चुकी है. पंचायतों में प्लस-टू की पढ़ाई के लिए राज्य शासन ने अभी केवल अस्थायी निर्णय लिया है.
इसे नीतिगत तौर पर प्रभावी करने को अलग से रणनीति बनायी जायेगी. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 1483 पंचायतें हैं, जिनमें अभी कक्षा आठ तक की पढ़ाई होती है. मध्य स्कूलों के पास इतना आधारभूत संरचना नहीं है कि वहां कक्षा 9वीं की पढ़ाई शुरू करायी जा सके. इन पंचायतों में 1267 पंचायतें ऐसी हैं, जहां पर दो कमरे बनाये जाने हैं. शेष 216 पंचायतों में केवल एक कमरा बनाया जाना है. निर्माण कार्यों के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिये गये हैं. 18 फरवरी, 2020 तक इन भवनों का निर्माण कराया जाना है.
आधारभूत संरचना बेहतर करने की कवायद
दरअसल एक अप्रैल, 2020 से प्रदेश की सभी पंचायतों में कक्षा 9वीं की पढ़ाई शुरू कराने की आधिकारिक घोषणा राज्य सरकार कर चुकी है. मुख्यमंत्री इस योजना को प्रभावी तौर पर लागू करने को लेकर स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं.
गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 2943 पंचायतें ऐसी हैं जहां कक्षा 9वीं की पढ़ाई नहीं होती है. इनमें 1411 पंचायतें इस प्रकार की हैं, जहां के मिडिल स्कूलों में 9वीं तक की पढ़ाई कराने को अतिरिक्त आधारभूत संरचना मौजूद है. 49 ऐसी पंचायतें हैं, जहां जमीन न होने और दूसरी वजहों से कक्षा 9वीं की पढ़ाई के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा.
पटना : स्कूली बच्चे सीखेंगे ट्रैफिक और क्राइम कंट्रोल की बातें
पटना : केंद्र की मदद से स्कूलों में बिहार पुलिस एक नयी पहल करने जा रही है. इसके तहत इन स्कूलों में अब राष्ट्रीय सेवा योजना की तर्ज पर स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) तैयार होंगे. इस कार्यक्रम के जरिये स्कूली बच्चों को अच्छे, सच्चे और ईमानदार नागरिक की नींव तैयार की जायेगी. पहले चरण में बिहार के 1100 स्कूलों में बच्चों को कैडेट के तौर पर तैयार किया जायेगा. प्रत्येक स्कूल से 22 लड़के और 22 लड़कियों को चुना जायेगा. यह कार्यक्रम कक्षा 8 और 9 के लिए होगी. प्रदेश में पुलिस आइजी रैंक के अफसर को इस कार्यक्रम का नोडल अफसर बनाया गया है.
हालांकि इस कार्यक्रम की रूपरेखा बिहार शिक्षा परियोजना तैयार कर रही है. एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन शोध संस्थान में 18 से 20 अक्तूबर तक इस संबंध में एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. इस कार्यक्रम में बच्चों को ट्रेनिंग दिलाने के लिए मास्टर ट्रेनर तैयार किये जायेंगे. इसके लिए संबंधित प्रत्येक स्कूल से दो दो शिक्षक बुलाये गये हैं.
वे बच्चों को ट्रेंड करेंगे. बच्चों को थाने की विजिट भी करायी जायेगी. ताकि पुलिस के नियम और कायदों को समझ सकें. पहले चरण का यह पूरा कार्यक्रम एक साल का होगा. इसमें स्कूली बच्चों की ट्रेनिंग में बुनियादी कानून और ट्रैफिक और क्राइम कंट्राेल भी समझाया जायेगा.कैडेट को प्रशिक्षण मूल्यांकन के बाद प्रमाणपत्र दिया जाएगा. इन्हें स्थानीय मुद्दों के तहत कार्य करना होगा.
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