महागठबंधन ने दिखायी एकता, अब सड़क पर उतरेंगे, तेजस्वी ने कहा, बैलेट पेपर से हो अगला चुनाव

एक मंच पर दिग्गज : डॉ लोहिया की पुण्यतिथि पर जुटे महागठबंधन के नेता पटना : लोकसभा चुनाव के बाद राम मनोहर लोहिया की 52वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में शनिवार को पहली बार महागठबंधन के शीर्ष नेताओं ने मंच साझा किया. सभी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल के शासन को असफल बताया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2019 7:29 AM
एक मंच पर दिग्गज : डॉ लोहिया की पुण्यतिथि पर जुटे महागठबंधन के नेता
पटना : लोकसभा चुनाव के बाद राम मनोहर लोहिया की 52वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में शनिवार को पहली बार महागठबंधन के शीर्ष नेताओं ने मंच साझा किया. सभी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल के शासन को असफल बताया और इस्तीफे की मांग की.
राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने घटक दलों के नेताओं से महागठबंधन बरकरार रखने की अपील की. लोहिया की पुण्यतिथि के मौके पर विपक्ष के साथ पहली बार कांग्रेस भी आयी. एक मंच पर आये राजद, रालोसपा, हम, वीआइपी, भाकपा, माकपा, भाकपा-माले के शीर्ष नेताओं ने बापू सभागार में कहा कि 10 नवंबर से राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ धरना व प्रदर्शन होगा.
समारोह के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने केंद्र सरकार पर संविधान से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बिहार में भी एनआरसी आने वाली है. संसद में पहले राम मनोहर लोहिया जैसे आंदोलन से तपे-तपाये लोग आते थे, अब यहां क्रिकेटर, सिनेमा वाले और बाबा आ रहे हैं. इसे मौज-मस्ती की जगह और स्टूडियो बना दिया गया है. उन्होंने कश्मीर पर केंद्र और बिहार में नीतीश सरकार की नीतियों की आलोचना की.
मंच पर वाम दलों के नेता भी थे मौजूद :
मंच पर कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा व डाॅ अखिलेश प्रसाद सिंह, राजद से तेजस्वी यादव, हम से पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, रालोसपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, वीआइपी अध्यक्ष मुकेश सहनी, भाकपा-माले के केडी यादव, माकपा से अवधेश कुमार और भाकपा से सत्यनारायण सिंह ने मंच साझा किया.
लोहिया पर आयोजित कार्यक्रम में विपक्ष के साथ वाम दल व कांग्रेस भी आये
बैलेट पेपर से हो अगला चुनाव : तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने बिहार में कानून-व्यवस्था की बदहाली, मुजफ्फरपुर शेल्टर होमकांड, चमकी बुखार, शिक्षा में गिरावट, पटना में जलजमाव में घोटाला आदि के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव हम हारे नहीं हराये गये हैं. उन्होंने अगला चुनाव बैलेट पेपर से करवाने की मांग की.
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री पर लालू प्रसाद को साजिशन फंसाने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद को सबसे अधिक सीट मिली. इसके बावजूद लालू प्रसाद ने अपने वादा के मुताबिक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनवाया. इसके बाद भी वे विश्वासघात कर भाजपा के साथ चले गये. तेजस्वी ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि साजिशन मेरे तथा परिवार के सभी सदस्यों पर कई मुकदमे दर्ज कराये गये. लोग यह सब समझ रहे हैं.
ये भी रहे मौजूद
इस समारोह को राजद नेता व पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, आलोक मेहता, एज्या यादव, शिवचंद्र राम, भूदेव चौधरी, संतोष कुशवाहा ने मुख्य रूप से संबोधित किया. इस दौरान पूर्व सांसद अर्जुन राय सहित भोला यादव मौजूद रहे.
महागठबंधन आज की जरूरत
भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार, भाकपा माले नेता राजाराम सिंह ने महागठबंधन को आज की जरूरत बताया. उन्होंने कहा कि लोहिया के सपनों को जिंदा रखने के लिए नये आंदोलन की जरूरत है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा घटक दल अमृत पीएं हम विष पीने को तैयार
पूर्व केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और समारोह के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि महागठबंधन के द्वारा समुद्र मंथन होगा. इससे निकलने वाला अमृत सभी नेता ग्रहण करें, लेकिन विष ग्रहण करने के लिए वे तैयार हैं.
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जातिगत जनगणना जारी कर संख्या के आधार पर आरक्षण की मांग सरकार से की. साथ ही कहा कि सभी राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र में यह बताना चाहिए कि गरीब और अमीर का बच्चा एक साथ कैसे पढ़ेगा. राजद के प्रदेश अध्यक्ष और समारोह के संचालक रामचंद्र पूर्वे ने लोहिया के विचारों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया. वीआइपी के मुकेश सहनी ने महागठबंधन की एकता पर जोर दिया.
कांग्रेस ने सहयोगी दलों से अहंकार त्यागने की अपील की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह ने सभी नेताओं से अहंकार त्याग कर महागठबंधन बरकरार रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया के पूर्व प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू से अच्छे संबंध थे. हालांकि उन्होंने गरीबों, दलितों की भलाई के लिए उस समय कांग्रेस सरकार के खिलाफ आवाज उठायी. उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं.

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