मौन रहा निगम, बिना प्लान के बढ़ती गयीं कॉलोनियां, अब हल्की बारिश में भी हो रहा भयंकर जलजमाव
प्रभात रंजन, पटना : किसी व्यवस्थित शहर के लिए कॉलोनियां बसाना व उनमें सड़क, पीने के पानी, सीवरेज व ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है. लेकिन, पिछले 20 वर्षों से बिना प्लान के न्यू बाइपास के दक्षिण में कॉलोनियां बसती चली गयीं.अनिसाबाद मोड़ से लेकर जीरो माइल […]
प्रभात रंजन, पटना : किसी व्यवस्थित शहर के लिए कॉलोनियां बसाना व उनमें सड़क, पीने के पानी, सीवरेज व ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है. लेकिन, पिछले 20 वर्षों से बिना प्लान के न्यू बाइपास के दक्षिण में कॉलोनियां बसती चली गयीं.अनिसाबाद मोड़ से लेकर जीरो माइल तक दर्जनों मुहल्लों बसे और बिना नक्शा स्वीकृत कराये लोग अपने-अपने मकान बनाते गये. जिम्मेदार निगम प्रशासन मौन होकर बसती हुई कॉलोनियों को देखता रहा. अब इन मुहल्लों में लाखों की आबादी बस गयी है, जो हल्की बारिश में भी भयंकर जलजमाव की समस्या झेलने को मजबूर है.
फाइलों में दबी है ड्रेनेज-सीवरेज की योजना
वर्ष 2014 के अगस्त में झमाझम बारिश हुई थी. इस बारिश में भी दक्षिण का इलाका टापू बन गया. तब तत्कालीन विभागीय प्रधान सचिव व नगर आयुक्त ने हवाई सर्वे किया. योजना बना कर स्वीकृति व राशि के लिए विभाग को भेजा, जो अब तक फाइलों में ही दबी है. इतना ही नहीं, पार्षदों की अनुशंसा पर भी कई योजनाएं बनायी गयी, जो विभाग की अनदेखी से लटकी हुई हैं.
फिर नाला बनाने के नाम पर शुरू हुई लूट
न्यू बाइपास के दक्षिण में सर्विस लेन है. इस लेन के किनारे बॉक्स नाला बनाया गया है, जिसका कहीं कनेक्शन नहीं है. स्थिति यह है कि इस नाले से एक बूंद बारिश के पानी की निकासी नहीं होती है. इतना ही नहीं, पूर्वी-पश्चिमी रामकृष्णा नगर, घाना काॅलोनी, एनटीसीपी कॉलोनी, मधुवन कॉलोनी आदि मुहल्लों में इक्का-दुक्का नाला व सड़कें बनायी गयी हैं, जिनका न ही लेवल ठीक है और न ही कहीं कनेक्शन है. इससे पानी निकलने का रास्ता ही नहीं है. लेकिन, इन नालों व सड़कों को बेतरतीब तरीके से तैयार कर राशि का भुगतान हो गया. लेकिन, निर्माण की गुणवत्ता जांच नहीं की गयी, जिसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं.
दक्षिण इलाके में कई एजेंसियों की ओर से नाला निर्माण निगम की देखरेख में पूरा नहीं किया गया. इससे नालों का कोई कनेक्शन नहीं है. वहीं, कई योजनाएं बनायी गयीं, जिनकी स्वीकृति के लिए विभाग को भेजा गया. विभाग ने क्रियान्वयन नहीं किया. बड़ी योजनाओं की राशि विभाग से मिलती है. लेकिन, समय से राशि नहीं मिलने से निर्धारित समय में योजना पूरी करने में भी परेशानी होती है.
सीता साहू, मेयर, पटना नगर निगम
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अरबन प्लानिंग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इससे कॉलोनियां पहले बस गयीं और बाद में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करने पर विमर्श किया जाता है. हालांकि, बादशाही पइन को दुरुस्त करने, पुनपुन के समीप संप हाउस लगाने और दक्षिण के ड्रेनेज सिस्टम को बादशाही पइन से जोड़ने की योजना बनी, जो पूरी नहीं हो सकी. समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो और भयावह स्थिति बनेगी.
अशोक कुमार सिंह, पूर्व मुख्य अभियंता, पटना नगर निगम
प्लानिंग पर निगम व सरकार के स्तर पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया. दूसरे राज्यों के नगर निगम क्षेत्र में प्लानिंग से शहर बसाया जाता है. लेकिन, यहां कुछ नहीं था. बिना नक्शा स्वीकृत कराये न्यू बाइपास के दक्षिण खेतिहर जमीन पर लोग बसते चले गये. ये लोग होल्डिंग टैक्स के दायरे में भी नहीं हैं. इससे निगम ने भी ध्यान नहीं दिया. अब आबादी बढ़ी है, तो परेशानी बढ़ने लगी है. ड्रेनेज की योजना बनानी होगी, तभी निदान निकलेगा.
अफजल इमाम, पूर्व मेयर, पटना नगर निगम