नयी दिल्ली : बिहार सरकार के साथ बिल एंड मिलिंड गेट्स फाउंडेशन तथा प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) द्वारा महिलाओं एवं शिशुओं में पोषण के स्तर को बेहतर बनाने के लिये पिछले वर्षों में शुरू किये गये कार्यक्रम के कारण बाल मृत्यु दर में एक तिहाई कमी आयी है. बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की भारत इकाई के प्रमुख (पोषण) डाॅ. आलोक रंजन ने संवाददाताओं को बताया कि महिलाएं में पोषण के प्रति जागरूकता फैलाना हमारी योजना के केंद्र में है और इसके तहत बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में जमीनी स्तर पर हमने खास पहल की और इसमें प्रदेश सरकार का भी सहयोग मिला.
डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि इसके तहत बिहार के हर जिले में हर महीने की सात तारीख को ‘गोद भराई’ कार्यक्रम, हर महीने की 19 तरीख को ‘अन्नप्राशन कार्यक्रम’ आयोजित किया जाता है और महिलाओं को पोषण एवं पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी जाती है. पीसीआई के भारत में सहायक निदेशक इंद्रजीत चौधरी ने बताया कि महिलाओं को ‘पोषण वाटिका’ लगाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है. इसके तहत महिलाएं अपने घर के पास छोटी बाटिका तैयार करती है और उसमें साग सब्जी लगाती है.
बिल एंड मिलिंड गेट्स फाउंडेशन तथा प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल ने इस बारे में एक अध्ययन किया है जिसमें महिला एवं बाल शिशु पोषण स्तर में सुधार का दावा किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि बिहार सरकार के साथ महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देते हुए लक्ष्य केंद्रित प्रयास प्रारंभ किये गये थे और अब इसका प्रभाव दिखना शुरू हो गया है. पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बाल मृत्यु दर में एक तिहाई की कमी आयी है.
उन्होंने बताया कि अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं में जागरूकता बढ़ने से उन्होंने अपने बच्चों को विविध और स्वास्थ्यपूर्ण आहार खिलाने की ओर दोगुने से अधिक इच्छा दिखाई. बिहार रूरल लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (बीआरएलपीएस) के ‘जीविका मिशन’ ने हाल ही में नीति आयोग के समक्ष प्रस्तुती दी है.