पटना : शहीद जवानों की याद में सरकार ने दिया था फ्लैट, 80% ने बेच दिया
अनिकेत त्रिवेदी पटना : भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में राज्य के शहीदों को सरकार ने कंकड़बाग इलाके में मुआवजे के तौर पर मुफ्त में फ्लैट मुहैया कराया था. डिफेंस कॉलोनी नाम से बने आवास बोर्ड की बहुमंजिली इमारतों में दो कमरों का फ्लैट अावंटित किया गया था. अब करीब 47 साल बाद […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में राज्य के शहीदों को सरकार ने कंकड़बाग इलाके में मुआवजे के तौर पर मुफ्त में फ्लैट मुहैया कराया था. डिफेंस कॉलोनी नाम से बने आवास बोर्ड की बहुमंजिली इमारतों में दो कमरों का फ्लैट अावंटित किया गया था. अब करीब 47 साल बाद आवास बोर्ड ने आवंटियों की सूची खंगाली तो पता चला कि डिफेंंस काॅलोनी के 80% फीसदी आवंटी अपना फ्लैट बेचकर बाहर निकल लिये हैं. उस समय रक्षा मंत्री जगजीवन राम हुआ करते थे.
युद्ध में शहीद और घायल हुए जवानों के नाम फ्लैट आवंटन में उनकी पहल भी रही थी. मूल आवंटियों ने बिना आवास बोर्ड को कोई सूचना दिये अपने फ्लैट बाजार दर पर बेच दिया. अब आवास बोर्ड को मूल आवंटियों का पता ठिकाना नहीं मिल पा रहा है. शहीदों के परिजनों के नाम आवंटित फ्लैटों पर बाहरी लोगों का कब्जा है. कब्जाधारियों के पास इसकी खरीद के कागजात भी हैं. खास यह कि उन फ्लैटों में अवैध निर्माण भी हो चला है.
आर्यावर्त अखबार के कर्मियों के नाम आवंटित फ्लैटों की भी यही स्थिति : यही हाल आर्यावर्त अखबार के कर्मियों के नाम आवंटित फ्लैटों की भी है. तत्कालीन सरकार ने करीब 70 फ्लैट आर्यावर्त के कर्मियों के नाम अावंटित की थी. बोर्ड और इलाके के लोग बताते हैं कि इनमें से भी अधिकतर फ्लैट की बिक्री हो चुकी है.
सूत्र बताते हैं, बिहार राज्य आवास बाेर्ड ने युद्ध शहीदों के परिजनों और दिव्यांग हुए सैनिकों को रहने के लिए लगभग 30 एकड़ में 328 आवंटियों के लिए डबल स्टोरी फ्लैटों का निर्माण करा उन्हें आवंटित किया था. जानकारी के अनुसार आवास बोर्ड ने सैनिक परिजनों को जिस शर्त के आधार पर आवंटन किया था, उसमें अन्य कॉलोनियों के आवंटन से कुछ अलग नियम रखे गये थे.
आवास बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो उनको 25 वर्ष बाद बगैर आवास बोर्ड को सूचना दिये बेचा जा सकता था. उन्हें इसका लाभांश भी नहीं देना था. लेकिन, दूसरी जानकारी है कि आवास बोर्ड के पास भी उन एग्रीमेंट की ठीक से जानकारी नहीं है. ऐसे में बस इस नियम के पेच का फायदा उन लोगों ने उठा कर अपने शहीदों के नाम आवंटित फ्लैटों को बेच दिया. गौरतलब है कि सैनिकों की बहादुरी के लिए उनके परिजनों को इसे अावंटित किया गया था.
आवास बोर्ड के पास नहीं हैं कागजात
आवास बोर्ड के कंकड़बाग डिवीजन के कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि फिलहाल आवास बोर्ड की किसी भी आवंटित संपत्ति को बेचने के लिए दो शर्तें हैं. इसमें बेचने के बाद संपत्ति का लाभांश आवास बोर्ड को देना होगा, जबकि दूसरी स्थिति में पहले संपत्ति को फ्री होल्ड कराना होगा. इसके बाद संपत्ति बेची जा सकती है. लेकिन डिफेंस कॉलोनी का मामला थोड़ा अलग था. हालांकि, डिवीजन के पास आवंटन शर्त के कागजात नहीं हैं. इसलिए वास्तविक रेट और एग्रीमेंट की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है.