फुलवारीशरीफ : 11 साल की लड़की के ब्रेन बाइपास की हुई सफल सर्जरी

फुलवारीशरीफ : पटना एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के सर्जन डाॅ विकास चंद्र झा के नेतृत्व में छह घंटे तक लगातार सर्जरी करके 11 साल की लड़की का ब्रेन बाइपास की कुशल सर्जरी की गयी. लड़की के दिमाग की मुख्य रक्त वाहिका धीरे-धीरे बंद हो गयी थी. उसकी जगह अविकसित रक्त वाहिका नसें दिमाग में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2019 9:17 AM
फुलवारीशरीफ : पटना एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के सर्जन डाॅ विकास चंद्र झा के नेतृत्व में छह घंटे तक लगातार सर्जरी करके 11 साल की लड़की का ब्रेन बाइपास की कुशल सर्जरी की गयी. लड़की के दिमाग की मुख्य रक्त वाहिका धीरे-धीरे बंद हो गयी थी.
उसकी जगह अविकसित रक्त वाहिका नसें दिमाग में बनने लगती है. डाॅ झा ने बताया कि जांच करने के बाद दिमाग में सिगरेट की धुएं की तरह दिखता था. इस कारण इसी बीमारी को मोया-मोया बीमारी रखा गया. यह बच्चों में रक्तवाहिका रुकावट के कारण ब्रेन अटैक की तरह का लक्षण दिखता है. जिसके इस्चीमोक स्ट्रोक कहते हैं. अगर यह बीमारी बच्चों या वयस्क में हो जाये तो दिमाग के अंदर अविकसित नसों के फटने की वजह से ब्रेन हैमेरेज होता है.
यह बीमारी दो तीन लाखों में किसी को होती है. डाॅ झा ने कहा कि इस बीमारी की पहचान एंजोयोग्राफी के माध्यम से की जाती है. ब्रेन की बाइपास सर्जरी जिसमें दिमाग की भीतरी और बाहरी की स्वस्थ रक्त वाहिका यानी आरटरी को आपस में जोड़ दिया जाता है और इसी तरह बाइपास सर्जरी करके सुपर फिसियल, टेम्पोरल आरटरी और मीडल सेरीब्रल आरटरी को जोड़ता है.
डाॅ झा ने कहा इस तरह की बाइपास सर्जरी से दिमाग के अंदर रक्त ले जाने वाली रक्तवाहिका की विभिन्न बीमारियां जिसमें काॅम्प्लैक्स, एन्यूरिज्म, आर टेरियोविनरा, मालफोर्मेषन का इलाज असानी से किया जा सकता है. सर्जरी करने में डाॅ अभ्यूदय कुमार, डाॅ नीरज कुमार, डाॅ मधुकांत, डाॅ सतरज और अन्य तकनीकी स्टाफ थे.

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