पटना : हवा को दूषित होने से बचाने के लिए प्रस्तावित सुरक्षा कवच पेड़ों का ही बनेगा. पेड़ों की दीवार व हरियाली ही वाहनों से निकलने वाले धुएं और धूलकण को नियंत्रित कर पायेगी. इससे ही हवा में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ेगी. पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अकेले पटना शहर में 3247 पेड़ों की कटाई हो चुकी है. काटे गये सभी पेड़ 20 से 80 साल पुराने थे.
अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पर्यावरण बचाने को लेकर उपाय किये जा रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इतने परिपक्व पेड़ों की भरपाई करने के लिए सामान्य तौर पर शहर को न्यूनतम बीस साल का इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि पेड़ों की कटाई के एवज में लगाये पौधे अभी तक कितने जिंदा बचे हैं, इसकी संख्या किसी भी सरकारी एजेंसी के पास उपलब्ध नहीं है.
जानकारी के मुताबिक विधान परिषद में एक आंकड़ा प्रस्तुत कर बताया गया कि 2017- 18 में शहर में 1222, 2016-17 में 1096 और 2018-19 में 925 परिपक्व पेड़ काटे गये हैं. इसके एवज में इन्हीं वित्तीय वर्षों में शहर में क्रमश: 1610, 6050 और 18165 पौधे लगाने का दावा किया गया है. लेकिन पेड़ों के कटने से पीएम 2.5 अर्थात धूल और रासायनिक कणों की मात्रा शहर में महज 5 साल में 70 से औसतन 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गयी है.
नये पौधे लगाना अनिवार्य : शहर में एक तरफ अवैध निर्माण और अतिक्रमण की संख्या बढ़ रही है. सरकारी एजेंसियों का दावा है कि शहर में पेड़ लगाने की जगह नहीं है. शहर में पौध रोपण के लिए जगह कम होने से काटे गये पेड़ों की भरपाई ग्रामीण क्षेत्रों में पौध रोपण करके करने का दावा किया जा रहा है.
पटना में 342 वाहनों की हुई जांच, 52 वाहन जब्त और 60 पर लगा जुर्माना
पटना : पटना में बुधवार को 342 वाहनों की जांच की गयी, जिनमें 60 वाहनों से जुर्माना वसूला गया और प्रदूषण फैलाने वाले 52 वाहनों को जब्त किया गया. परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने भी जांच अभियान का जायजा लिया. कहा कि मोबाइल पॉल्यूशन वैन से ऑन स्पॉट प्रदूषण जांच हो रही है और पॉल्यूशन फेल पाये गये वाहनों पर कार्रवाई हो रही है.
खान व भूतत्व मंत्री की गाड़ी में बैठे व्यक्ति ने नहीं लगायी थी सीट बेल्ट, एक हजार का जुर्माना : म्यूजियम के पास जांच अभियान के दौरान दोपहर में खान व भूतत्व मंत्री ब्रज किशोर विंद की गाड़ी पुलिस ने रोकी. गाड़ी में ड्राइवर के साथ बैठा व्यक्ति बिना सीट बेल्ट लगाये हुए था.
जब गाड़ी रोकी गयी, तो उसने सीट बेल्ट लगानी चाही, लेकिन जांच अधिकारियों ने जुर्माना भरने को कहा. इसी दौरान गाड़ी के आगे ढके नंबर व नेम प्लेट को जब पत्रकारों ने उठाकर फोटो लेना चाहा, तो गाड़ी में बैठा व्यक्ति हंगामा करने लगा और देख लेने की धमकी दी. बीच-बचाव के बाद शांत हुआ, एक हजार का जुर्माना दिया.
इन गाड़ियों की हुई जांच
विशेष जांच अभियान में ऑटो, पिकअप वैन, सिटी बस और जुगाड़ वाहनों के प्रदूषण की जांच हुई. टीम ने आयकर गोलंबर, बिहार म्यूजियम बेली रोड, जीरो माइल (दाईं ओर), जीरो माईल (बाईं ओर), धनुकी मोड़ (दाईं ओर), धनुकी मोड़ (बाईं ओर) जांच की.
आज से प्रखंडों में हेलमेट व सीट बेल्ट की होगी जांच, सभी डीएम को निर्देश
पटना : परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सभी डीएम को निर्देश दिया है कि प्रखंड स्तर पर हेलमेट और सीट बेल्ट जांच अभियान नियमित रूप से चलाया जाये. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी हेलमेट लगाने में पीछे हैं. जांच अभियान में अनुमंडल पदाधिकारी, डीएसपी को सहयोग करने को कहा गया है.
स्टेट और नेशनल हाइवे पर गाड़ियों की जांच होगी : परिवहन सचिव ने पदाधिकारियों को नेशनल व स्टेट हाइवे पर गाड़ियों की जांच करने का निर्देश दिया गया है. विभागीय समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि हाइवे पर अब भी लोग हेलमेट नहीं पहन रहे है और गाड़ियों में सीट बेल्ट नहीं लगाया जा रहा है.
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बने प्लान का हाल
उद्योग : शहर के वायु प्रदूषण में सात फीसदी भागीदारी वाले स्रोतों को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उद्योग विभाग की है. लेकिन इन्हें शहर से बाहर विस्थापित करने की बात तो दूर इन पर प्रभावी बैन तक नहीं लगाया जा सका है.
बाउंड्री और ग्रीन बेल्ट : पर्यावरण विभाग ने इस पर कोई काम नहीं किया. इसके तहत नदियों के किनारे पौध रोपण से लेकर शहर के अंदर की सड़कों पर ग्रीन बेल्ट और पार्क आदि विकसित किये जाने थे. उसका प्रभाव बिल्कुल नहीं दिखा है.
जेनरेटर सेट आदि : पांच फीसदी पॉल्यूशन की वजह माना जाने वाला यह सोर्स उपेक्षित है. इस संदर्भ में नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के स्थानीय अफसरों ने इस और ध्यान नहीं दिया है.
हीटिंग एवं कुक : हवा को प्रदूषित करने में 16 फीसदी योगदान देने वाला यह स्रोत कार्रवाई की जद से पूरी तरह अछूता है. शहर में हजारों ऐसे छोटे-छोटे ढाबे, भोजनालय हैं, जहां कोयला, लकड़ी, गोयठा और केरोसिन का इस्तेमाल हो रहा है. खुले में आग जलाने की कवायद पर रोक भी प्रभावी नहीं है.
पालन की अवधि
दिसंबर, 2019 तक इसके लिए समय सीमा निर्धारित की गयी है.
पालन की अवधि
अगस्त 2019 तक यह काम पूरा हो जाना था.
पालन की अवधि
इस संबंध में प्रभावी पाबंदी अप्रैल, 2018 तक लग जानी थी.
पालन की अवधि
प्रभावी कार्रवाई एक साल पहले ही करनी थी. अब दिसंबर, 2019 तक करनी है.धूल कण हवा के प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी 12 फीसदी है. इसके लिए अनकवर्ड कंस्ट्रक्शन, खुले वाहनों के जरिये निर्माण सामग्री जैसे-रेत, मिट्टी, स्टोन चिप्स आदि की ढुलाई पर पाबंदी लगानी थी. खुले में कचरा ढोने व सड़क पर मेटेरियल को स्टोर करने पर भी पाबंदी तय की गयी थी.
पालन की अवधि
ये पाबंदियां 2018 से ही प्रभावशील हो जानी चाहिए थीं.ईंट भट्ठा : सैद्धांतिक तौर पर ये बंद हैं. धरातल पर स्थिति अलग हो सकती है, क्योंकि ईंट भट्ठा अब भी पीएम 2.5 के प्रमुख स्रोत बने हुए हैं.
पालन की अवधि
आदेश का पालन एक अक्तूबर 2019 तक किया जाना था.पुराने वाहन : हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला यह सबसे बड़ा स्रोत है. इसके लिए अाबादी के हिसाब से वाहनों की लिमिट तय करना और पुराने वाहनों को सड़क से हटाना था. हालांकि इस दिशा में कुछ हुआ नहीं. अब इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई का दावा किया जा रहा है.
पालन की अवधि
तकनीकी वजहों से इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी थी.