बिहार में मांझी की महागठबंधन से अलग होने की धमकी, राजद के वरिष्ठ नेता ने दी ये कड़ी प्रतिक्रिया

पटना : बिहार में महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. यह शुक्रवार को तब एक बार फिर सामने आया जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पांच दलों वाले इस गठबंधन से बाहर जाने की ताजा धमकी दी. हालांकि, अन्य गठबंधन सहयोगियों ने इसे उनका दबाव बनाने का हथकंडा करार दिया. मांझी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2019 4:25 PM

पटना : बिहार में महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. यह शुक्रवार को तब एक बार फिर सामने आया जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पांच दलों वाले इस गठबंधन से बाहर जाने की ताजा धमकी दी. हालांकि, अन्य गठबंधन सहयोगियों ने इसे उनका दबाव बनाने का हथकंडा करार दिया. मांझी ने बृहस्पतिवार रात यहां पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में घोषणा की थी कि पार्टी झारखंड में अकेले चुनाव में उतरेगी और अगले वर्ष जब बिहार में विधानसभा चुनाव होगा तो सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

मांझी को हालांकि इसको लेकर अभी निर्णय करना है कि झारखंड में किन सीटों पर चुनाव लड़ना है. झारखंड में विधानसभा चुनाव घोषित हो चुके हैं और मतदान इस महीने के आखिर में शुरू होगा. मांझी की बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के खराब प्रदर्शन के बाद उनकी ओर से बार बार जारी धमकियों के अनुरूप है. मांझी की पार्टी ‘हम’ ने लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटें हार गयी थी. स्वयं मांझी गया सीट से चुनाव हार गये थे.

ऐसी अटकलें हैं कि हो सकता है कि मांझी की नजर भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में वापसी पर हो. यद्यपि शुक्रवार को जब संवाददाताओं ने मांझी से सवाल किया तो उन्होंने राजग में वापसी की किसी योजना से इन्कार किया. राजग सूत्रों ने कहा कि मांझी की वापसी का बिहार के मुख्यमंत्री एवं जदयू प्रमुख नीतीश कुमार की ओर से कड़ा विरोध किये जाने की संभावना है. मांझी ने अपनी पार्टी ‘हम’ बनाने से पहले नीतीश कुमार से ही बगावत की थी. इसके अलावा रामविलास पासवान की लोजपा भी किसी अन्य दलित नेता के साथ अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं बांटना चाहेगी.

इस बीच राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि मांझी ऐसी बयानबाजी अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि उनकी कुछ मांगें हों जो पूरी नहीं हुई हों. किसी भी गठबंधन में सभी दलों के साथ ऐसा होता है. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के जोर पकड़ने के बाद उन्हें पता चलेगा कि महागठबंधन के अलावा उनके लिए कोई और ठिकाना नहीं है.’

ऐसे ही विचार कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह की ओर से भी व्यक्त किये गये. उन्होंने उम्मीद जतायी कि बिहार में चुनावी बिगुल फूंके जाने के बाद मांझी महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़े होंगे. रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की ओर से शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे महागठबंधन के नेताओं ने संयुक्त रूप से संबोधित किया. मांझी ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी पार्टी का कोई भी नेता इसमें शामिल नहीं हो.

यद्यपि रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने कहा, ‘‘हम मांझी की नाराजगी नहीं समझ पा रहे हैं जो कि एक वरिष्ठ और सम्मानित नेता हैं.’ आनंद ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वे महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और प्रत्येक घटक दल के लिए सीटों की हिस्सेदारी को लेकर आतुर हैं. हम उनसे केवल यह आग्रह कर सकते हैं कि वह जल्दबाजी में महागठबंधन को और नुकसान नहीं पहुंचाएं’ आनंद का इशारा मांझी द्वारा नाथनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार उतारने की ओर था जिस पर पिछले महीने उपचुनाव हुआ था. इस सीट पर राजद हार गयी थी और हार का अंतर हम उम्मीदवार द्वारा प्राप्त वोटों से कम था.

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