पटना : हाइकोर्ट में जबरन दायर नहीं होगी अपील याचिका

अफसरों की लापरवाही से राज्य सरकार की हो रही किरकिरी पटना : सरकारी महकमों में अफसरों की लापरवाही के कारण एक ही मामले में कर्मियों को बार-बार कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है. हाइकोर्ट के स्पष्ट अादेश के बावजूद मामले को लटकाये रखने को लेकर कई विभागों ने अपील याचिका दायर कर रखी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2019 9:15 AM
अफसरों की लापरवाही से राज्य सरकार की हो रही किरकिरी
पटना : सरकारी महकमों में अफसरों की लापरवाही के कारण एक ही मामले में कर्मियों को बार-बार कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है. हाइकोर्ट के स्पष्ट अादेश के बावजूद मामले को लटकाये रखने को लेकर कई विभागों ने अपील याचिका दायर कर रखी है.
इस वजह से कोर्ट में सरकार की कई बार किरकिरी हो चुकी है. विधि विभाग ने इस संबंध में सभी विभागों के प्रधान सचिवों को निर्देश दिया है कि वे एक ही तरह के या रूटीन मैटर का निबटारा अपने स्तर पर ही कर लें, ताकि कर्मियों को कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़े. इस वजह से कोर्ट में सरकारी मुकदमों की संख्या बेवजह बढ़ती जा रही है. दूसरी तरफ संबंधित कर्मी को अपने वाजिब हक के लिए काफी परेशान होना पड़ता है.
पिछले छह महीनों के दौरान विभिन्न विभागों से जुड़े करीब दो दर्जन सामान्य मामलों को लेकर कर्मियों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी. कर्मियों को एलपीए (लेटर पैटेंट्स अपील) के रूप में अपने मामलों को लेकर कोर्ट में जाना पड़ा.
इससे संबंधित कर्मियों के अलावा सरकारी राशि और समय का भी दुरुपयोग हुआ, जबकि ऐसी समस्याओं को देखते हुए तथा राज्य सरकार पर कोर्ट केस का बोझ कम करने के लिए बिहार सरकार ने 2011 में एक मुकदमा नीति लायी थी. परंतु, इस नीति का किसी विभाग में पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है. रूटीन मामलों में भी कर्मियों को बार-बार न्यायालय दौड़ने को मजबूर होना पड़ता है.
समाज कल्याण विभाग पर कोर्ट ने लगाया है 10 हजार का जुर्माना : अक्तूबर महीने के अंत में हाइकोर्ट ने विभागीय लापरवाही से जुड़े ऐसे ही एक मामले में समाज कल्याण विभाग पर 10 हजार का जुर्माना लगाया था. इसमें रोहतास के तिलौथू थाना क्षेत्र की रहने वाली सीडीपीओ रीता कुमारी के मामले में कोर्ट ने सख्त आदेश दिया कि इस तरह के मामले में पहले भी जब विभाग को निर्देश दिया गया है तो फिर से ऐसे ही दूसरे मामले में इस कर्मी को कोर्ट आने की जरूरत क्यों पड़ी.
25 अक्तूबर को जारी इस फैसले में कोर्ट ने राज्य सरकार पर सख्त आपत्ति जतायी थी कि जब किसी मामले में हाइकोर्ट की तरफ से फैसला सुना दिया जाता है तो फिर उसे सामान्य रूप से सभी कर्मियों के मामले में क्यों नहीं लागू किया जाता है. एक ही तरह की समस्या को लेकर सभी कर्मी को अलग-अलग कोर्ट में बार-बार आने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.

Next Article

Exit mobile version