महाराजगंज रिजल्ट पर जदयू में घमसान
पटना: महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद जदयू में घमसान है. मतदान के दिन तक बढ़-चढ़ कर बोलनेवाले जदयू नेताओं ने चुप्पी साध रखी है. रिकॉर्ड मतों से जीत का दावा करनेवाले जदयू के आला नेता अब हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं. आधिकारिक तौर पर नेता भीतरघात की बात भी […]
पटना: महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद जदयू में घमसान है. मतदान के दिन तक बढ़-चढ़ कर बोलनेवाले जदयू नेताओं ने चुप्पी साध रखी है. रिकॉर्ड मतों से जीत का दावा करनेवाले जदयू के आला नेता अब हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं. आधिकारिक तौर पर नेता भीतरघात की बात भी कर रहे हैं.
सलीम का घर था अस्थायी ठिकाना
प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जदयू हार के कारणों की समीक्षा करेगा. अभी स्थानीय स्तर पर रिपोर्ट मांगी गयी है. रिपोर्ट आने पर विस्तार से समीक्षा होगी. इसी कड़ी में छपरा के पार्टी नेता व विधान परिषद के उपसभापति सलीम परवेज ने शुक्रवार को खुल कर कहा कि चुनाव हारने के पीछे जदयू नेताओं की भीतरघात ही प्रमुख कारण है. जब कभी हार की समीक्षा होगी, वह पूरे तथ्य मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने रख देंगे.
यह पूछे जाने पर कि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद इस मसले पर मुख्यमंत्री से उनकी बात हुई है, उन्होंने कहा- नहीं हुई है. जदयू उम्मीदवार पीके शाही ने छपरा में सलीम परवेज के आवास को ही अपना अस्थायी निवास बनाया था. गुरुवार को नवनिर्वाचित राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह ने सलीम परवेज को अपना राजनीतिक शिष्य बताया था. प्रभुनाथ सिंह के इस बयान से जदयू के भीतर खलबली मच गयी है. वहीं, सलीम परवेज ने राजद सांसद के बयान को सिरे से खारिज कर दिया है.
सलीम परवेज ने कहा कि मंै कभी प्रभुनाथ सिंह का शिष्य नहीं रहा. मुसलमान होने के नाते हमने अपने नेता नीतीश कुमार का साथ दिया. जिस दिन से प्रभुनाथ सिंह जदयू से अलग हुए, उनसे कोई बात नहीं हुई. जहां तक महाराजगंज उपचुनाव में जदयू को कई मतदान केंद्रों पर पोलिंग एजेंट नहीं मिलने की बात है, तो इसके पीछे मूल कारण प्रभुनाथ सिंह का आतंक व दहशत है. महाराजगंज में पार्टी की हार का कारण भीतरघात को जदयू के दूसरे नेता भी स्वीकार कर रहे हैं.
स्थानीय कारण से हारे चुनाव : नीरज
उपचुनाव की कमान संभालने के क्रम में 25 दिनों तक महाराजगंज में कैंप करनेवाले विधान पार्षद सह जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि जदयू को स्थानीय कारणों से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. सरकार के विकास के एजेंडे व कार्यशैली पर किसी ने अंगुली नहीं उठायी.