पटना : एनजीटी की ओर से सुनवाई में देरी के चलते इस बार बालू घाटों से उठाव के लिए टेंडर जारी होने में देरी हो रही है. इस कारण नये साल में बालू की किल्लत हो सकती है.
इस कारण राज्य में सरकारी और निजी क्षेत्रों के निर्माण कार्य प्रभावित हो सकते हैं. खान एवं भूतत्व विभाग ने सभी सरकारी विभागों को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दी है. साथ ही सभी निर्माण कार्यों को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए सरकारी विभागों को बालू का भंडारण करने की सलाह दी है.
मार्च-अप्रैल के बाद ही होगा खनन
खान एवं भूतत्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि राज्य में बालू खनन के लिए नदी घाटों की पुरानी बंदोबस्ती की समय- सीमा 31 दिसंबर को खत्म हो रही है. वहीं, एनजीटी की रोक की वजह से नयी बदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
इस मामले की सुनवाई एनजीटी 27 नवंबर को करेगी. यदि इस सुनवाई में राज्य सरकार के पक्ष से संतुष्ट होकर एनजीटी ने रोक हटाने का आदेश दे भी दिया तो उसके बाद भी बंदोबस्ती और बंदोबस्तधारियों द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति लेने में तीन-चार महीने लग जायेंगे. ऐसे में मार्च-अप्रैल के बाद ही बालू का खनन शुरू हो सकेगा.
कीमत बढ़ने की संभावना
सूत्रों का कहना है कि इस समय बालू की उपलब्धता होने के बावजूद बाजार में बालू चार से साढ़े चार हजार रुपये प्रति सौ सीएफटी मिल रहा है. वहीं, बालू की किल्लत होने पर इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसे में राज्य में निर्माण कार्य के प्रभावित होने की भी संभावना है.