हर घर नल जल योजना की थर्ड पार्टी जांच शुरू

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पीएचइडी ने हर घर नल का जल योजना की जांच मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम से शुरू किया है, जो स्थल जांच करने के बाद ही रिपोर्ट तैयार करेगा. जिस वार्ड में काम में लापरवाही मिलेगी, वहां के अधिकारियों व कर्मचारी से स्पष्टीकरण के बाद उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2019 4:50 AM

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पीएचइडी ने हर घर नल का जल योजना की जांच मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम से शुरू किया है, जो स्थल जांच करने के बाद ही रिपोर्ट तैयार करेगा. जिस वार्ड में काम में लापरवाही मिलेगी, वहां के अधिकारियों व कर्मचारी से स्पष्टीकरण के बाद उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

जांच रिपोर्ट के बाद ही उन सभी वार्डों का जियो टैगिंग किया जायेगा, जहां काम पूरा हो गया है और योजना के तहत लोगों को शुद्ध पानी मिलने लगा है. योजना से जुडे अधिकारियों को दिशा-निर्देश है कि वह काम की रफ्तार को बढ़ाये और साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार कर विभाग को सौंपे. काम को निश्चित समय में पूरा नहीं करने वालों पर कार्रवाई करें.
और हर दिन मॉनीटरिंग की रिपोर्ट मंत्री सेल को दें. जिन वार्डों में काम की स्वीकृति मिलने के बाद भी काम शुरू नहीं किया गया है. वैसे वार्डों को चिन्हित करें और ठेकेदार पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की जायेगी.
1413 लघु सिंचाई योजनाओं की होगी जांच
पटना. जल- जीवन- हरियाली के तहत हाल ही में टेंडर की गयी 1413 लघु सिंचाई योजनाओं की जांच होगी. जांच के लिए प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में जिला अनुश्रवण समिति का गठन किया गया है. यह समिति सिंचाई योजनाओं की रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.
इस संबंध में लघु जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने निर्देश दिया है. साथ ही उन्होंने योजनाओं में मिट्टी भराई या निकासी संबंधी काम हर हाल में जून, 2020 से पहले करने के लिए कहा है. वहीं, टेंडर के अनुसार काम पूरा करने की समयसीमा 31 मार्च, 2020 है.
लघु जल संसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि विभागीय योजनाओं की जांच प्रारंभिक स्तर पर विभाग के जूनियर इंजीनियर और अंचलाधिकारी करेंगे. वे इस बात की पड़ताल करेंगे कि जिस योजना पर काम हो रहा है वह लघु जल संसाधन विभाग की है या किसी अन्य विभाग की है. साथ ही वे सुनिश्चित करेंगे कि योजना का काम जिस जमीन में हो रहा है, वह निर्विवाद है. योजना का टेंडर वहां काम की आवश्यकता के अनुसार सही है या नहीं.
कई जगहों से मिल रही थी शिकायत
सूत्रों का कहना है कि टेंडर के बाद कई जगहों से शिकायत मिल रही थी कि वहां मौजूद काम की आवश्यकता के अनुसार टेंडर नहीं हुआ है. इसी तरह की एक शिकायत सुपौल जिले से मिली थी कि वहां जिस जमीन में तालाब खुदवाने का टेंडर हुआ था, वहां पहले से ही पानी के साथ तालाब मौजूद है.
जल्दबाजी में हुआ था टेंडर
सूत्रों का कहना है कि जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जल्दबाजी में 2059 योजनाओं का टेंडर निकाला गया था, लेकिन इसमें से 1413 के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो सकी. इन पर करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च का बजट है. इन योजनाओं का जिस समय टेंडर हुआ था उस समय बाढ़ का पानी मौजूद था. ऐसे में स्थल की ठीक से जांच नहीं हो सकी थी.
जल जीवन हरियाली में कई विभाग कर रहे काम
जल जीवन हरियाली अभियान के तहत ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा के द्वारा काम करवा रहा है. वहीं जल संसाधन, लघु जल संसाधन विभाग और पीएचइडी की योजनाओं पर भी काम हो रहा है. ऐसे में जांच के दौरान यह जानकारी जुटायी जायेगी कि जिस योजना पर काम हो रहा है वह केवल लघु जल संसाधन विभाग की है या एक ही योजना पर कई विभाग के माध्यम से काम हो रहा है.

Next Article

Exit mobile version