पटना : आरटीइ की पढ़ाई में भी ड्रॉपआउट
पटना : प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में होने वाली आरटीइ की पढ़ाई में भी ‘ड्रॉप आउट’ की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इसमे‘ड्रॉप आउट’ धीरे-धीरे होता है. यह बात और है कि आरटीइ के पूर्ण लाभ के स्तर कक्षा आठ तक पहुंचते-पहुंचते ‘ड्रॉप आउट’ की दर कहीं ज्यादा चौंकाने वाली बन जाती […]
पटना : प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में होने वाली आरटीइ की पढ़ाई में भी ‘ड्रॉप आउट’ की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इसमे‘ड्रॉप आउट’ धीरे-धीरे होता है. यह बात और है कि आरटीइ के पूर्ण लाभ के स्तर कक्षा आठ तक पहुंचते-पहुंचते ‘ड्रॉप आउट’ की दर कहीं ज्यादा चौंकाने वाली बन जाती है. उदाहरण के लिए दो शैक्षणिक सत्रों वर्ष 2010-11 और 2011-12 में एडमिशन लेने वाले बच्चों में क्रमश: करीब 21 और 39 फीसदी बच्चे ही कक्षा आठ तक पढ़ाई कर सके. शेष बच्चे विभिन्न कारणों से बीच में ही कक्षा छोड़ गये.
बता दें कि प्रदेश में आरटीइ के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों में अब तक केवल दो शैक्षणिक सत्रों के बच्चे कक्षा आठ तक पहुंचे हैं. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वर्ष 2010-11 में पहली कक्षा में एडमिशन पाये बच्चों की संख्या 714 थी. पहली कक्षा में नाम लिखवाने वाले इन बच्चों में कक्षा 8 की परीक्षा देने वाले बच्चों की संख्या केवल 154 बची. इस तरह केवल 21 फीसदी ही बच्चे आरटीइ के तहत पूर्ण फायदा ले सके. वर्ष 2011-12 में पहली कक्षा में 2103 बच्चों के नामांकन किये गये, लेकिन कक्षा आठ में 1286 बच्चे ही पहुंचे. फिलहाल पूरे प्रदेश में आरटीइ के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या 2010-11 में 714 से लेकर 2018-19 में 2.17 लाख तक पहुंच गयी है.जानकारी के मुताबिक यह सभी आंकड़े विभागीय ऑडिट में समाने आये हैं.
आरटीइ के तहत कक्षा एक में दाखिला लेकर कक्षा आठ तक इसकी सुविधा का लाभ उठाने में कई दिक्कतें सामने आ रही हैं. इनमें सबसे अहम वजह प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे सामान्य बच्चों तुलना में आरटीइ से दाखिल बच्चों के बीच सुविधाओं के बीच संतुलन न बन पाना रहा है. आरटीइ से दाखिला प्राप्त बच्चों को खासतौर पर प्राइवेट स्कूल में चलन में लायी जा रही सप्लीमेंट्री बुक्स खरीदने में दिक्कत आती है. प्राइवेट प्रकाशक कोई रियायत नहीं बरतते. इसी तरह ड्रेस आदि के रखरखाव में दिक्कत आती है. महंगी ट्यूशन फीस न दे पाने की वजह से वे बच्चे दूसरे सामान्य बच्चों से प्रतिस्पर्धा भी नहीं कर पाते हैं.
शैक्षणिक सत्र पहली कक्षा में अब तक अंतिम कक्षा
नामांकित में पहुंचे बच्च
2010- 11 714 कक्षा 8 में 154
2011-12 2103 कक्षा 8 में 1286
2012-13 3479 कक्षा 7 में 2495
2013-14 8264 कक्षा 6 में 5277
2014-15 32564 कक्षा 5 में 23775
2015-16 46632 कक्षा 4 में 33632
2016-17 42464 कक्षा 3 में 37013
2017-18 45824 कक्षा 2 में अप्राप्त
2018-19 66754 कक्षा एक में अप्राप्त
परिवहन की दिक्कत
कई बच्चे परिवहन की सुविधा के अभाव या उसके महंगे होने की वजह से भी आरटीइ का दाखिला छोड़ कर दूसरी जगह एडमिशन करा लेते हैं. उदाहरण के लिए पटना और गया को ही लें, यहां ऑनलाइन आवेदन और लॉटरी सिस्टम के जरिये दाखिले होते हैं. इसकी वजह से अधिकतर एडमिशन दूर के स्कूल में हो जाते हैं. इसकी वजह से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे बीच में ही स्कूल छाेड़ देते हैं,क्योंकि वे आने जाने का खर्च वहन नहीं कर पा रहे हैं.