कन्या उत्थान योजना में बिहार बेहतर : मोदी

पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत अब तक पांच लाख 98 हजार बालिकाओं को लाभ पहुंचाया जा चुका है. इस योजना के तहत भ्रूण हत्या रोकने, लड़की के जन्म को प्रोत्साहित करने, जन्म निबंधन, संपूर्ण टीकाकरण, बाल विवाह निषेध और प्रजनन दर कम करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2019 4:36 AM

पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत अब तक पांच लाख 98 हजार बालिकाओं को लाभ पहुंचाया जा चुका है. इस योजना के तहत भ्रूण हत्या रोकने, लड़की के जन्म को प्रोत्साहित करने, जन्म निबंधन, संपूर्ण टीकाकरण, बाल विवाह निषेध और प्रजनन दर कम करने के उद्देश्य से जन्म से लेकर स्नातक पास करने वाली लड़कियों के बैंक खाते में करीब 56 हजार रुपये सरकार की तरफ से जमा कराये जाते हैं.

उपमुख्यमंत्री नयी दिल्ली के ताज होटल में विश्व बैंक की तरफ से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. इसका विषय ‘भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली : अन्य देशों का अनुभव’ रखा गया है. उन्होंने कहा कि बिहार में 63 हजार आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्ट फोन उपलब्ध कराया गया है.
इसके माध्यम से वे 70 लाख परिवारों की तीन करोड़ 86 लाख बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पूरक पोषाहार मुहैया कराने के अलावा स्वास्थ्य की देखभाल कर रही हैं.
डिप्टी सीएम ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविकाओं या सहायिकाओं को पहले 11 तरह के कार्यों के लिए करीब साढ़े आठ किलो वजन के रजिस्टर का उपयोग करना पड़ता था, परंतु अब वे स्मार्ट फोन के जरिये बच्चों के पूरक पोषाहार की अवस्था, गर्भवती महिलाओं की स्थिति समेत अन्य की तालिका संकलित करने के साथ ही समय पूर्व अलर्ट प्राप्त कर सेवा दे रही हैं.
बिहार के इस प्रयोग के बाद देश के 27 राज्यों के पांच करोड़ परिवारों और 42 करोड़ आबादी को स्मार्ट फोन के जरिये यह सेवा दी
जा रही है. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार विश्व बैंक के सहयोग से 87 अनुमंडलों में स्थापित दो मंजिला ‘बुनियादी केंद्रों’ और मोबाइल वैन के जरिये गांवों में पहुंच कर अब तक एक लाख 60 हजार वृद्धों, विधवा और दिव्यांगों के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया है. इसके साथ ही कृत्रिम अंग देना, आंख-कान की जांच, फिजियोथेरेपी समेत अलग-अलग तरह की सेवाओं के साथ ही 39 हजार 229 दिव्यांगों को प्रमाणपत्र भी मुहैया कराया गया है.

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