पटना : सरकार महिलाओं को बना रही सशक्त
पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य में महिलाओं को सशक्त करने के लिए कई तरह के विशेष कदम उठाये गये हैं. सूबे में 39 विशेष तरह की योजनाएं सिर्फ महिलाओं के लिए चलायी जाती हैं, परंतु पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, जीविका, बालिका साइकिल योजना, […]
पटना : डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य में महिलाओं को सशक्त करने के लिए कई तरह के विशेष कदम उठाये गये हैं. सूबे में 39 विशेष तरह की योजनाएं सिर्फ महिलाओं के लिए चलायी जाती हैं, परंतु पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, जीविका, बालिका साइकिल योजना, सरकारी नौकरी में 35 फीसदी महिला आरक्षण और शराबबंदी कानून गेम चेंजर साबित हुई हैं. इन योजनाओं ने महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाते हुए उन्हें सशक्त बनाया है. डिप्टी सीएम शुक्रवार को शहर के एक होटल में लिंगानुपात में असमानता पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
आद्री की तरफ से आयोजित इस दो दिवसीय सेमिनार का विषय ‘लैंगिक असमानता को दूर करने में स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसर की भूमिका’ रखा गया है. उन्होंने कहा कि नेताओं को सामाजिक बदलाव का कार्य करना चाहिए. इसमें वे अहम भूमिका निभा सकते हैं.
उपमुख्यमंत्री कहा कि 2008-09 में महिला बजट पर राज्य सरकार ने नौ हजार 329 करोड़ खर्च किये थे, जो 2019-20 में बढ़कर 30 हजार 874 करोड़ हो गया. बिहार में आज पुलिस कांस्टेबल में 70 से 80% महिलाएं हैं. 2014 में 47% ही महिला कांस्टेबल थी. इसी तरह 2005 में 10वीं की परीक्षा देने वाली लड़कियों की संख्या 33%थी, जो 2019 में बढ़कर 51 फीसदी हो गयी.
आद्री के कार्यक्रम में शामिल होंगे राज्यसभा के उपसभापति : आद्री के दो दिवसीय लैंगिक समानता में कमी : स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसर विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश भी शामिल होंगे. वे समापन सत्र को संबोधित करेंगे. सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और कई विभागों के प्रधान सचिव शामिल होंगे.
डीएफआइडी के राष्ट्रीय प्रमुख गैविन मैकगिलिवरे ने महिला सशक्तीकरण में बिहार सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कुछ योजनाओं के कारण घरेलू हिंसा में कमी आयी है. फिर भी इसमें काफी कुछ काम करने की जरूरत है. ब्रिटेन में तो हर तीन में एक महिला घरेलू हिंसा से पीड़ित है. उन्होंने कहा कि बिहार की साइकिल योजना ने बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है.
गरीबी व काम के बोझ से महिलाओं में डिप्रेशन अधिक
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि गरीबी व काम के बोझ से महिलाओं में डिप्रेशन अधिक है. लैंगिक अंतराल में कमी महिला सशक्तीकरण से ही संभव है. दूसरे सत्र में ऑक्सफोर्ड विवि की आनंदी मणि ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि कैसे गरीबी लोगों की पसंदों व व्यवहार को प्रभावित करती है. गरीबी और आय संबंधी अनिश्चितता को लेकर महिलाएं काफी परेशान है
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पश्चिम की तुलना में पूर्व में कम है लैंगिक असमानता
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री मार्टिन रामा ने कहा कि पश्चिम देशों की तुलना में पूर्वी देशों में लैंगिक असमानता कम है. लड़कियों को ज्यादा- से- ज्यादा शिक्षित करके इसमें कमी लायी जा सकती है. भारत में महिला पॉयलट की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा 13 फीसदी है, जबकि अन्य देशों में यह पांच प्रतिशत है. बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के निदेशक अलकेश बाधानी ने कहा कि जीविका के जरिये सूबे की महिलाओं ने जीविकोपार्जन और स्वरोजगार में बेहतरीन उदाहरण स्थापित किया है. इसकी वजह से इनके व्यवहार व जीवनयापन में भी बदलाव आया है. कार्यक्रम में स्वागत संबोधन आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने दिया. इस दौरान महिला विकास निगम की निदेशक एन विजयलक्ष्मी, इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के निदेशक प्रणव सेन आदि मौजूद थे.