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अतिक्रमण संबंधी हलफनामा दोबारा दायर करें : हाइकोर्ट

पटना : पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वेटनरी कॉलेज की जमीन पर अवैध अतिक्रमण को हटाये जाने संबंधी मुख्य सचिव के हलफनामे पर असंतोष जाहिर किया है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा द्वारा दायर लोकहित याचिका पर […]

पटना : पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वेटनरी कॉलेज की जमीन पर अवैध अतिक्रमण को हटाये जाने संबंधी मुख्य सचिव के हलफनामे पर असंतोष जाहिर किया है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को कहा कि वह नये सिरे से विस्तृत हलफनामा 17 जनवरी, 2010 तक कोर्ट में दायर कर स्थिति स्पष्ट करें.

कोर्ट को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि वेटनरी कॉलेज की जमीन पर बड़े पैमाने पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है. इसे हटाने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. इसमें प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं. इस मामले में कोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर जवाब दिया था.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और अधीक्षक तलब : पटना हाइकोर्ट ने राजधानी पटना के पीएमसीएच समेत राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में किये गये अवैध अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई करते हुए 10 जनवरी को सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य और सभी अधीक्षकों को तलब किया है.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि इन सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण किया गया है.
अवैध पैथोलैब को बंद करने का आदेश अखबारों में करें प्रकाशित
पटना. पटना हाइकोर्ट ने राज्य में अवैध तरीके से चल रहे पैथोलॉजिकल लैब पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए सरकार को कहा है. कोर्ट ने गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग से कहा कि वह तीन दिनों के भीतर अखबारों में अवैध तरीके से चलने वाले पैथोलॉजिकल लैब को बंद करने के आदेश का प्रकाशन कराये.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिकल एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि वह आम जनता को सभी एजेंसियों के माध्यम से यह जानकारी उपलब्ध कराये कि केवल उन्हीं पैथोलॉजिकल लैब में जांच करायी जानी चाहिए, जिन्हें संबंधित कानून व नियमावली के तहत मान्यता मिली हो.
हाइकोर्ट ने 10 दिन पहले 9 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को इस संबंध में निर्देश दिया था. लेकिन, बिहार सरकार व स्वास्थ्य विभाग की तरफ से गुरुवार तक कोई विज्ञापन समाचार पत्रों में इस आशय का प्रकाशित नहीं कराया गया. कोर्ट में मौजूद स्वस्थ विभाग के प्रभारी सचिव लोकेश कुमार सिंह ने इस बात को कोर्ट में स्वीकार किया.

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